जयंती विशेष: इन तीन नेताओं के संग मिलाकर अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी BJP की नींव
By स्वाति सिंह | Published: December 25, 2018 07:20 AM2018-12-25T07:20:55+5:302018-12-25T07:20:55+5:30
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस को 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 94वीं जयंती हैं। वाजपेयी की छवि हमेशा से ही काफी साफ रही है और इसी के कारण इनका सम्मान न केवल इनकी पार्टी, बीजेपी द्वारा किया जाता है, बल्कि विपक्षियों दलों द्वारा भी किया जाता है। आइए भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर डालते हैं एक नजर-
जन्मतिथि: 25 दिसंबर, 1924
पुन्यतिथि: 16 अगस्त 2018
जन्मस्थान: ग्वालियर
जन्म का नाम: अटल बिहारी वाजपेयी
पिता: कृष्ण बिहारी, शिक्षक
माता: कृष्णा देवी
शिक्षा: विक्टोरिया कॉलेज (लक्ष्मी बाई कॉलेज); दयानंद एंड एंग्लो-वैदिक कॉलेज, पॉलिटिकल साइंस में एमए
धर्म: हिंदू
अन्य जानकारी-
-वाजपेयी ब्राह्मण परिवार से थे।
-वह एक प्रशंसित कवि और वक्ता थे।
-वह महिलाओं के अधिकारों और जाति व्यवस्था के उन्मूलन के पक्षधर थे।
-वाजपेयी लोकसभा के लिए नौ बार और राज्यसभा के लिए दो बार चुने गए थे। इसके साथ ही उन्होंने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है।
-अपने बेहद कम उम्र में हिंदू राष्ट्रवादी समूह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए थे।
1942 - भारत छोड़ो आंदोलन में वह बाकी नेताओं के साथ जेल गए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात भातीय जनसंघ के लीडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई थी।
1951 - वह राजनीतिक पार्टी जनसंघ में शामिल हुए।
1957 - जनसंघ के नेता बने।
1957 - अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा के लिए चुने गए।
1962 - राज्यसभा में छह साल के कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुए ।
1975 - देश में लागू हुए आपातकाल घोषित स्थिति के दौरान वह अन्य असंतुष्ट राजनेताओं के साथ जेल गए।
1977- जनसंघ पार्टी ने भारतीय लोकदल के साथ गठबंधन कर लिया, जिसे जनता पार्टी नाम दिया गया। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में इनकी पार्टी को जीत मिली। इस जीत के साथ ही देसाई जी ने अटल बिहारी वाजपेयी को केंद्रीय मंत्री बना दिया था और इन्हें विदेश मामलों का मंत्रालय मिला था। बतौर विदेश मंत्री रहते हुए, वाजपेयी जी ने विदेश में हिंदी भाषा में स्पीच दी थी।
1980 - मंत्रालय छोड़ने के एक साल बाद वाजपेयी जी ने लालकृष्ण आडवाणी, भैरों सिंह शेखावत और बीजेएस पार्टी के अन्य नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया था।
1984 -बीजेपी केवल दो सीटों से चुनाव हार गई थी।
1989 - लोकसभा चुनाव में बीजेपी 88 सीटों की बढ़त के साथ आगे रही।
1996-बीजेपी अकेले सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बनके उभरी थी।जिसके बाद वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया, लेकिन अन्य पार्टियों से स्पोर्ट ना मिलने के कारण मात्र 13 दिन में उनकी सरकार गिर गई।
19 मार्च, 1998 - बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर एनडीए का गठबंधन किया, जिसके बाद वाजपेयी ने दूसरी बाद प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
17 अप्रैल, 1999 - इस बार बीजेपी की सरकार 13 महीनें चली।अपने सहयोगी पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद वाजपेयी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
13 अक्टूबर, 1999 - बीजेपी और उसके सहयोगियों के साथ मिलकर एक बार फिर से वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
14 सितंबर, 2000 - वाजपेयी ने अमेरिकी कांग्रेस के एक संयुक्त सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका की उनकी यात्रा "दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंधों को मजबूत करती है और द्विपक्षीय और वैश्विक मामलों में एक नए युग को चिह्नित करती है।"
अक्टूबर 2000 - वाजपेयी की सेहत खराब होने लगी।उनके घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई।
2001- वाजपेयी ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरूआत की।
13 मई, 2004 - कांग्रेस की जीत के बाद वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
29 दिसंबर, 2005 - वाजपेयी ने राजनीति से अपने रिटायर्मेंट की घोषणा की।
फरवरी 2009 - रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन प्रणाली ) में संक्रमण के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया।
1 मार्च, 2009 - उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया
25 दिसंबर, 2014 - वाजपेयी के जन्मदिवस को 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा।
27 मार्च 2015: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा।
16 अगस्त, 2018 - 93 वर्ष की उम्र में वाजपेयी का निधन हो गया।
अक्टूबर 2018 - गंगोत्री ग्लेशियर के पास चार हिमालय की चोटियों का नाम वाजपेयी के नाम पर रखा गया।