अटल बिहारी वाजपेयी: ऐसा राजनेता जिसका विरोधी भी करते थे सम्मान, माँ प्यार से 'अटल्ला' पुकारती थी
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 16, 2018 05:57 PM2018-08-16T17:57:58+5:302018-08-16T17:58:21+5:30
Atal Bihari Vajpayee Biography, Politics Career lesser known fact in Hindi: अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में सबसे प्रतिष्ठित नेता और बातों के धनी के माने जाते थे। ये देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। इन्हें पद्म भूषण और भारत रत्न से भी नवाजा गया था।
नई दिल्ली, 16 अगस्त: भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेया की का गुरुवार को निधन हो गया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य, कवि अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे राजनेता थे, जिन्हें सभी दलों के सदस्यों का बराबर सम्मान मिला। भारतीय राजनीति में सबसे प्रतिष्ठित नेता और बातों के धनी के माने जाते थे। ये देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। इन्हें पद्म भूषण और भारत रत्न से भी नवाजा गया था।
काव्य करने की कला विरासत में मिली
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी हिन्दी एवं ब्रज भाषा के एक कवि थे। ये मूल निवासी उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर थे। इनके पिता गांव के स्कूल में शिक्षक का कार्य करते थे। वे हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी तीनों भाषा के विद्वान थे। इसलिए वायपेयी को काव्य करने की कला विरासत में मिली थी। अटल बिहारी का नाम बाबा श्यामलाल वाजपेयी ने रखा था। इनकी माता कृष्णादेवी ने प्यार से 'अटल्ला' कहकर पुकारती थीं।
वाजपेयी ने प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से पूरी की। अटल बिहारी वाजपेयी इसके बाद इंटर की शिक्षा विक्टोरिया कॉलेजियट स्कूल में हुई। अंग्रेजी और संस्कृत विषय में डिस्टिंगशन के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में प्रथम स्थान के साथ एमए की उपाधि प्राप्त की।
पढ़ाई के दौरान किया आरएसएस ज्वाइन
एमए करने के बाद उन्होंने ने आरएसएस ज्वाइन किया। वे आरएसएस के पूर्णरूपेण सदस्य थे। इसी दौरान उन्होंने लॉ की पढ़ाई भी शुरू की। लेकिन इसी दौरान वह लॉ को छोड़ पत्रकारिता में आ गए। ऐसा कहा जाता है कि पत्रकारिता का चुनाव करना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि उस वक्त पूरे देश में आजादी की लहर दौड़ रही थी।
कभी नहीं की शादी
वाजपेयी ने 'राष्ट्रधर्म' (मासिक हिन्दी), 'पाञ्चजन्य' (साप्ताहिक हिन्दी), 'स्वदेश' (रोजाना) तथा 'वीर अर्जुन' (रोजाना) पत्रिका का संपादन किया। संघ के अन्य सदस्यों की तरह वाजपेयी ने कभी भी शादी नहीं करने का फैसला लिया, जो आज तक कायम है। वाजयेपी 1942 में राजनीति में उस समय आए, जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके भाई 23 दिनों के लिए जेल गए। 1951 में वाजपेयी ने आरएसएस के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी बनाई। जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेता शामिल हुए।
1955 लड़ा पहली बार लोकसभा चुनाव
अटल विहारी वाजपेयी ने 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस चुनाव में वह जीत नहीं पाए। अटल चुनाव हारे थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से जीत कर अटल जीते और लोकसाभ में पहुंचे। 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वह बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता बने रहे। इसके बाद भी उनका राजनीतिक करियर लगातार सफलता की ही ओर बढ़ता रहा। मोरारजी देसाई की सरकार बनी तो अटल बिहारी वाजपेयी 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने भारत की छवि को काफी निखारा।
पहली बार गैर कांग्रेसी पीएम
पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी 13 दिनों के लिए, 16 मई, 1996 से 1 जून तक के लिए प्रधानमंत्री बने थे। 1998 में लोकसभा चुनाव जीतकर वाजपेयी दोबार प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबन्धन सरकार ने पांच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।
अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होने गैर कांग्रेसी पीएम के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा किया ता। इस दौरान वह एनडीए में 24 दलों के गठबंधन लेकर चल रहे थे, जिसमें 81 मंत्री थे।
अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता के तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर हुए। लेकिन इससे इतर उनकी पहचान एक जाने-माने हुए कवि की भी हैं। वह अपनी भाषण में अपनी इस कला का भरपूर इस्तेमाल करते थे। उनका कविता संग्रह 'मेरी इक्वावन कविताएं' उनके समर्थकों में खासा लोकप्रिय है। 2015 में इन्हें भारत रत्न और 1992 में इन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था।