गंगा-यमुना सहित यूपी के हर जिले की नदी में प्रवाहित होंगी अटल जी की अस्थियां
By पल्लवी कुमारी | Published: August 17, 2018 09:05 PM2018-08-17T21:05:22+5:302018-08-17T21:05:22+5:30
अटल बिहारी वाजपेयी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि के बीच शुक्रवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
नई दिल्ली, 17 अगस्त: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐलान किया है कि वाजपेयी की अस्थियों को राज्य के सभी जिलों की प्रमुख नदियों में प्रवाहित की जाएगी। उत्तर प्रदेश अटल जी की कर्मभूमि रही है। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल लंबे समय तक यूपी की राजधानी लखनऊ से सांसद रहे थे। उनका 16 अगस्त की शाम एम्स में निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि के बीच शुक्रवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान यमुना के किनारे राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर हजारों लोग मौजूद थे।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'उत्तर प्रदेश अटल जी की कर्मभूमि रहा है। राज्य के हर क्षेत्र से उनका लगाव रहा है। जनभावनाओं का सम्मान करते हुए देश के सभी जिलों की मुख्य नदियों में उनकी अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी ताकि राज्य की जनता को उनकी अंतिम यात्रा से जुड़ने का अवसर मिल सके।'
Ashes of former prime minister #AtalBihariVajpayee will be spread in every river in Uttar Pradesh including Ganga, Yamuna, and Tapti, to respect his grand stature: UP government pic.twitter.com/UC2pW12CIq
— ANI UP (@ANINewsUP) August 17, 2018
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि यमुना, गंगा, चंबल टोन्स, घाघरा, राप्ती, गोमती, हिंडन, काली, रामगंगा, गंडक, शारदा, सई, काली नदी, वान गंगा, सोन, रिहंद, बेतवा और घसान आदि नदियों में अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों को प्रवाहित किया जाएगा।
बता दें कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गये। युवावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े गये। आजादी के बाद 1957 में लोक सभा चुनाव जीतकर संसद पहुँचे। 1977 में जनता पार्टी सरकार में देश के विदेश मंत्री रहे। 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने हालाँकि 13 दिनों बाद ही उनकी सरकार गिर गयी।
1998 में दोबारा पीएम बने लेकिन 13 महीनों बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा। अटल बिहारी वाजपेयी 1999 में तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी पीएम बने। साल 2004 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ी लेकिन उसे हार मिली। साल 2005 में खराब स्वास्थ्य के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली।
अपने छह दशक लम्बे राजनीतिक जीवन में अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोक सभा सांसद और दो बार राज्य सभा सांसद रहे। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।