अटल बिहारी बाजपेयी अंतिम विदाईः इस गाड़ी से अंतिम संस्कार के लिए जाएगा अटल जी का शव, जानिए इसका इतिहास
By स्वाति सिंह | Published: August 17, 2018 11:04 AM2018-08-17T11:04:04+5:302018-08-17T11:04:04+5:30
पूर्व प्रधानमंत्री और 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी के शव यात्रा को तोप गाड़ी यानि गन कैरेज में निकाली जा रही है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त: पूर्व प्रधानमंत्री और 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया जाएगा। वाजपेयी जी के शव यात्रा को तोप गाड़ी यानि गन कैरेज में निकाली जा रही है। तोप गाड़ी एक विशेष तरह की सेना की गाड़ी है, जिसमें 15-हंडरवेट सैनिक हथियार-गाड़ी का एक खुला फ्रेम तैयार किया जाता है। ताकि खुली अर्थी पर रखा हुआ शव सभी को दिख सके। इसके बाद इस गाड़ी को सेना की घोड़ा गाड़ी खींचती है।
बता दें कि आजाद हिन्दुस्तान के बाद सबसे पहले तोप गाड़ी का इस्तेमाल महात्मा गांधी के शव यात्रा में किया गया था। इसके बाद अब अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम यात्रा में किया जा रहा है। उस दौरान देश की तीनों सेनाओं के दो सौ जवान चार मोटे रस्सों से गाड़ी को खींच रहे थे। वहीं एक छोटा सैनिक अफसर मोटर के करीब बैठा हुआ था।
अटल बिहारी वाजपेयी का शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास से सुबह 9 उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय लाया गया। इसके बाद यहां से दोपहर डेढ़ बजे तक लोग अपने चहेते नेता का अंतिम दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी जो विजयघाट तक जाएगी। अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा के मद्देनजर 25 सड़के रोकी गई हैं और 20 हजार सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है।
गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम पांच बजकर पांच मिनट पर एम्स में निधन हो गया। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने गुरुवार शाम में मेडिकल बुलेटिन जारी कर इस बात की जानकारी दी। इनके निधन की खबर के बाद से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे चार दशकों से भी अधिक समय से भारतीय संसद के सांसद रहे। इसके अलावा दो बार भारत के प्रधानमंत्री पद पर भी सुशोभित हुए। अटल जी अपनी सात्विक राजनीति और संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। उनके भाषणों का ऐसा जादू कि लोग सुनते ही रहना चाहते हैं। वाजपेयी ने तबीयत के चलते कई साल पहले सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।