विधानसभा चुनावः छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा किंग और कौन किंगमेकर?
By गोपाल वोरा | Published: November 16, 2018 04:20 AM2018-11-16T04:20:56+5:302018-11-16T04:20:56+5:30
देश में इस बात को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का दौर चल पड़ा है कि जोगी किंगमेकर बने तो इसका फैसला बिलासपुर संभाग की सीटों से हो जाएगा.
छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा किंग और कौन किंगमेकर? भाजपा की ओर से तस्वीर साफ है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चौथी बार किंग बनने के लिए मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस ने अपना किंग घोषित नहीं किया है, जबकि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की तस्वीर भी स्पष्ट है. उसके बसपा और सीपीआई के महागठबंधन के बहुमत में आने पर अजीत जोगी ही किंग बनेंगे. प्रदेश में इस बात को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का दौर चल पड़ा है कि जोगी किंगमेकर बने तो इसका फैसला बिलासपुर संभाग की सीटों से हो जाएगा.
बिलासपुर संभाग के मरवाही विधानसभा क्षेत्र से अजीत जोगी स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं. कोटा विधानसभा क्षेत्र से उनकी पत्नी डॉ. रेणु जोगी चुनाव रण में उतरी हैं, जबकि उनकी बहू ऋचा जोगी अकलतरा विधानसभा क्षेत्र से बसपा की प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. इसी प्रकार बिल्हा से वर्तमान विधायक सियाराम कौशिक जोगी कांग्रेस की टिकट पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक को चुनौती दे रहे हैं. लोरमी से विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रखर वक्ता धरमजीत सिंह सभी दलीय प्रत्याशियों के लिए चैलेंज बनकर खड़े हुए हैं. गुंडरदेही विधानसभा से आर.के. राय जोगी कांग्रेस को संबल देने की तैयारी में दिखाई देते हैं. कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजीत जोगी किंगमेकर बनकर ही उभरेंगे यदि उनके ये सभी प्रमुख सिपहसालार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच जाते हैं.
प्रदेश में हो रही राजनीतिक चर्चाओं में अजीत जोगी किंगमेकर बनकर ही उभर रहे हैं. मरवाही से इस बार उनके चुनाव चिह्न् को लेकर मतदाताओं में संशय की स्थिति बनी हुई है. हमेशा से जोगी और उनका परिवार कांग्रेस के पंजा चिह्न् से चुनाव लड़ता आया है. इस बार वे अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न् हल जोतता किसान से चुनाव मैदान में हैं. उन्हें अपना चुनाव चिह्न् मतदाता तक पहुंचाने में तकलीफ उठानी पड़ रही है. कमोबेश यही स्थिति उनके सभी प्रत्याशियों की भी है.
जोगी कांग्रेस के अच्छे प्रभाव वाले बिलासपुर और मुंगेली जिले में जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि उनका चुनाव लड़ना केवल औपचारिकता या वोट काटने का मकसद नहीं है. यदि चुनाव में बाजी जीत भी नहीं पाए, तो हम बाजी पलटने की कूवत रखते हैं.कांग्रेस इस बार यह मानकर चल रही है कि पूरे प्रदेश में बदलाव की बयार है.
15 वर्षो की भाजपा सरकार से लोग ऊब चुके हैं. इसलिए कांग्रेस की सरकार बनना तय है. इस लिहाज से किंग बनने के दावेदारों की यहां लंबी लाइन है. इनमें विधायक दल के नेता के रूप में टी.एस. सिंहदेव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल स्वाभाविक दावेदार हैं और तीसरे प्रमुख दावेदारों में पूर्व केंद्रीय मंत्री और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत. यहां चौथी बार सरकार बनाने के लिए डॉ. रमन सिंह ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. धन-बल और संगठन बल उनके प्रमुख अस्त्र हैं, जिनमें चुनाव को अंतिम समय में पलट देने का माद्दा है.