Assembly Election 2022: राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सेवाओं की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा

By विशाल कुमार | Published: January 25, 2022 12:35 PM2022-01-25T12:35:06+5:302022-01-25T12:46:01+5:30

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमणा, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र एवं निर्वाचन आयोग से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। 

assembly-elections-2022-sc-seeks-responses-of-centre-and-ec-on-freebies | Assembly Election 2022: राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सेवाओं की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा

Assembly Election 2022: राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सेवाओं की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा

Highlightsसार्वजनिक कोष से ‘‘अतार्किक मुफ्त सेवाएं’’ वितरित करने का वादा करने के खिलाफ जनहित याचिका।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एवं निर्वाचन आयोग से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। 

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले सार्वजनिक कोष से ‘‘अतार्किक मुफ्त सेवाएं’’ वितरित करने या इसका वादा करने वाले राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न जब्त करने या उनकी मान्यता रद्द करने का दिशा-निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र और निर्वाचन आयोग से मंगलवार को जवाब मांगा। 

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमणा, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र एवं निर्वाचन आयोग से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। 

याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस प्रकार के लोकलुभावन कदम उठाने पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए क्योंकि यह संविधान का उल्लंघन है और निर्वाचन आयोग को इसके खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

सीजेआई की पीठ ने एस. सुब्रमण्यम बालाजी के मामले में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया जिसमें चुनाव पूर्व वादा किए जाने वाली मुफ्त योजनाओं पर तंज कसा था लेकिन उसे भ्रष्ट चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग ने दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है कि वे चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं की घोषणा को विनियमित करने के लिए क्या उपाय अपना रही हैं।

अदालत ने मुफ्त चुनावी घोषणाओं को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा है कि यह मतदाताओं और चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है।

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