कांग्रेस की करारी हार के बाद G-23 ग्रुप सक्रिय, पार्टी में कोहराम की आहट; हो सकता है बड़ा धमाका
By शीलेष शर्मा | Published: March 11, 2022 08:03 PM2022-03-11T20:03:03+5:302022-03-11T20:08:13+5:30
कांग्रस के लिए पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे बेहद खराब रहे हैं। पंजाब में पार्टी न केवल सत्ता बचाने में नाकाम रही बल्कि 20 से भी कम सीटें अपने नाम कर सकी। ऐसे में एक बार फिर राहुल गांधी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस का G-23 ग्रुप इसे लेकर सक्रिय हो गया है।
नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक पराजय के बाद अब पार्टी के अंदर बड़े विस्फोट की तैयारी चल रही है। सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार कांग्रेस में बदलाव संबंधी रणनीति बनाने के लिये G-23 ग्रुप के नेता रविवार को दिल्ली में बैठक करने जा रहे हैं।
इस ग्रुप के एक सदस्य ने बताया कि उनकी पहली कोशिश होगी कि पार्टी को राहुल गांधी और उनके सलाहकारों से मुक्त कराया जाए क्योंकि वे जब तक फैसले लेते रहेंगे तब तक पार्टी हर चुनाव हारती रहेगी।
इस नेता ने साफ किया कि अब यह केवल 23 नेताओं का समूह नहीं रह गया है, देश के हर राज्य से वह कांग्रेसी जुड़ रहे हैं जो राहुल की कार्यशैली से नाराज है। अपनी पुरानी मांगों को दोहराते हुए एक अन्य नेता ने मांग की कि कार्यसमिति का तत्काल पुनर्गठन हो और बूथ स्तर से केंद्रीय स्तर तक पदों को चुनाव के ज़रिये भरा जाये।
जी-23 गुट बड़ी तैयारी में जुटी
प्राप्त संकेतों के अनुसार नाराज नेताओं की कोशिश है कि सोनिया गांधी द्वारा बुलाई जाने वाली कार्यसमिति की बैठक से पहले रणनीति तैयार कर ली जाये। संभवतय यह बैठक कपिल सिब्बल के आवास पर आयोजित करने की तैयारी है।
पार्टी की मौजूदा कार्यशैली के खिलाफ जो नेता मुखर बने हुए हैं उनमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, राज बब्बर, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नाम प्रमुख हैं।
हैरानी की बात यह भी है कि असंतुष्ट नेता सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को लेकर बिल्कुल आक्रामक नहीं थे। उनके निशाने पर राहुल गांधी, के सी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, के राजू जैसे नाम हैं।
इस बीच शुक्रवार शाम मनीष तिवारी और कपिल सिब्बल दिल्ली में गुलाम नबी आजाद के आवास पर पहुंच, इसकी भी तस्वीरें सामने आई। बता दें कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी केवल 18 सीट हासिल कर सकी।