असम: नागरिकता साबित करने का नोटिस मिलने के बाद बेटे ने कर ली थी आत्महत्या, अब 80 वर्षीय मां को मिला नोटिस

By विशाल कुमार | Published: March 6, 2022 07:39 AM2022-03-06T07:39:31+5:302022-03-06T07:42:32+5:30

2014 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जुन नमसुद्र मेरे भाई हैं और मैं उनकी मृत्यु से दुखी हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो किसी अर्जुन को डिटेंशन कैंप में नहीं धकेला जाएगा, किसी को डर में नहीं रहना पड़ेगा और न ही आत्महत्या करनी पड़ेगी।

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असम: नागरिकता साबित करने का नोटिस मिलने के बाद बेटे ने कर ली थी आत्महत्या, अब 80 वर्षीय मां को मिला नोटिस

Highlights80 वर्षीय अकोल रानी नामसुद्र को अपनी नागरिकता साबित करने का नोटिस मिला है।साल 2012 में आत्महत्या के बाद उनके बेटे को साल 2013 में भारतीय घोषित कर दिया गया था।2014 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जुन नमसुद्र के नाम का उल्लेख किया था। 

गुवाहाटी:असम के कछार जिले की रहने वाली एक 80 वर्षीय महिला को विदेशी न्यायाधिकरण से अपनी नागरिकता साबित करने का नोटिस मिला है जबकि साल 2012 में न्यायाधिकरण से नोटिस मिलने के बाद उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली थी।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अकोल रानी नामसुद्र नाम की महिला भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास कटोगोराह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत हरितिकर पार्ट-1 की रहने वाली हैं। पिछले महीने, सिलचर में एक विदेशी न्यायाधिकरण ने उन्हें 5 मार्च को अदालत में पेश होने के लिए कहा था।

नोटिस में कहा गया है कि आप अपनी नागरिकता के संबंध में पूछताछ/सत्यापन के दौरान पुलिस के सामने कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं कर सकीं और इस आधार पर आपके अवैध प्रवासी होने का संदेह है।

उनके वकील अनील डे ने कहा कि 2012 में इसी तरह के नोटिस के कारण उनके बेटे की मृत्यु हो गई थी लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उन्हें (साल 2013 में) भारतीय घोषित कर दिया गया था। मुझे समझ में नहीं आता कि उस व्यक्ति की मां को उसी एफटी कोर्ट से एक बार फिर नोटिस कैसे मिला। अदालत ने उन्हें 4 अप्रैल को फिर से पेश होने के लिए कहा है और हम उस दिन पर्याप्त दस्तावेज पेश करने जा रहे हैं।

अपने पिता के नाम पर भारत सरकार द्वारा जारी 1956 का नागरिकता कार्ड रखने के बावजूद, 2012 में अर्जुन नामसुद्र की भारतीय पहचान पर सवाल उठाया गया था। उनके परिवार के अनुसार, गिरफ्तार किए जाने और बांग्लादेश में धकेले जाने के डर से उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।

2014 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कछार का दौरा किया और अपने भाषण में अर्जुन नमसुद्र के नाम का उल्लेख किया था। 

उन्होंने कहा था कि अर्जुन नमसुद्र मेरे भाई हैं और मैं उनकी मृत्यु से दुखी हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो किसी अर्जुन को डिटेंशन कैंप में नहीं धकेला जाएगा, किसी को डर में नहीं रहना पड़ेगा और न ही आत्महत्या करनी पड़ेगी।

पीएम मोदी के 2014 के भाषण के बाद, असम प्रदेश भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष सर्बानंद सोनोवाल ने अर्जुन के घर का दौरा किया और आश्वासन दिया कि सरकार परिवार की देखभाल करेगी। उन्होंने उन्हें परिवार के लिए मासिक पेंशन की व्यवस्था करने का भी आश्वासन दिया लेकिन परिवार के सदस्यों के अनुसार सरकार या किसी जन प्रतिनिधि से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली।

अर्जुन की मां से पहले उनकी सास सावित्री बिस्वास को भी 2017 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल से नोटिस मिला था और परिवार आज तक केस लड़ रहा है।

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