ज्ञानवापी मामला: एएसआई ने अदालत से सर्वेक्षण रिपोर्ट को चार और सप्ताह तक सार्वजनिक न करने का आग्रह किया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 3, 2024 08:08 PM2024-01-03T20:08:31+5:302024-01-03T20:10:00+5:30
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वाराणसी की एक अदालत से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की अपनी रिपोर्ट को कम से कम चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने का बुधवार को आग्रह किया।
वाराणसी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वाराणसी की एक अदालत से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की अपनी रिपोर्ट को कम से कम चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने का बुधवार को आग्रह किया। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि वाराणसी की जिला अदालत के न्यायाधीश ए. के. विश्वेश ने मामले को बृहस्पतिवार तक के लिए टाल दिया।
यादव के मुताबिक, एएसआई ने सीलबंद सर्वेक्षण रिपोर्ट खोलने से पहले अदालत से चार सप्ताह का और समय मांगा है। यादव ने कहा कि एएसआई ने चार सप्ताह का समय मांगते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला दिया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की मौजूदगी वाली जगह पर कथित मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग संबंधी मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षों की कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि वर्ष 1991 का पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम किसी प्रार्थनागृह के धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं करता है और इसे केवल विरोधी पक्षों द्वारा अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को इस मामले को छह महीने के अंदर निपटाने के निर्देश देते हुए कहा था कि अगर जरूरी हो तो निचली अदालत एएसआई को आगे के सर्वेक्षण के लिए निर्देश दे सकती है।
जिला अदालत के 21 जुलाई 2023 के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि 17 वीं शताब्दी में बनी ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। जिला अदालत में बुधवार को सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष ने कहा कि मस्जिद के 'वज़ू खाने' की सफाई के लिए उच्चतम न्यायालय से अनुमति मांगी जाए क्योंकि वहां कई मछलियां मर गई हैं। मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि 'वज़ू खाना' उसकी संपत्ति है और इसे साफ करने की ज़िम्मेदारी उसे ही दी जानी चाहिए।
हिंदू पक्ष ने जिला अदालत को बताया, “उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 'वज़ू खाना' सील कर दिया गया है। ऐसे में उसकी सफाई या तो वह करे या फिर प्रशासन कराये।” इस मामले पर भी अदालत बृहस्पतिवार को फैसला सुनाएगी।