पूर्व अटार्नी जनरल और पद्म भूषण से सम्मानित अशोक देसाई का निधन, न्यायमूर्ति वी रामास्वामी को पद से हटाने के लिए चलाया था अभियान
By भाषा | Published: April 13, 2020 06:09 PM2020-04-13T18:09:38+5:302020-04-13T18:09:38+5:30
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक देसाई का सोमवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया। देसाई ने 1956 में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी। उन्हें 8 अगस्त 1977 को एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। एक वकील के रूप में वे बॉम्बे हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में मामलों में पेश हुए।
नई दिल्लीः पूर्व अटार्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक देसाई का सोमवार की सुबह निधन हो गया। देसाई नौ जुलाई, 1996 से छह मई, 1998 तक देश के अटार्नी जनरल थे।
इससे पहले, 18 दिसंबर, 1989 से दो दिसंबर, 1990 तक वह सालिसीटर जनरल थे। पद्म भूषण से सम्मानित देसाई ने 1956 में बंबई उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और आठ अगस्त, 1977 को वह वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किये गये।
देसाई ने उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार और इस तरह के गंभीर आरोपों में घिरे उच्च लोकसेवकों के खिलाफ जांच को लेकर बहुचर्चित विनीत नारायण प्रकरण में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर रखने, नर्मदा बांध प्रकरण और गैरकानूनी प्रवासी (अधिकरण द्वारा निर्धारण) कानून जैसे जनहित के अनेक मामलों में उच्चतम न्यायालय में बहस की।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने देसाई के निधन पर शोक व्यक्त करते हुये कहा कि उन्हें अपनी चुटीली वाक्पटुता और जनहित के मामलों की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करने के लिये हमेशा याद किया जायेगा। अधिवक्ता प्रशात भूषण ने भी देसाई के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा ही उच्च मानदंडों का पालन किया।
वह गैर सरकारी संगठन कमेटी फॉर ज्यूडीशियल अकाउन्टेबिलटी के भी सदस्य थे। इस समिति ने भ्रष्टाचार के आरोप में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी रामास्वामी को पद से हटाने के लिये अभियान चलाया था। लॉ ल्यूमिनेरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वह नवतेज सिंह जौहर (धारा 377 का डिक्रिमलाइजेशन), नंदिनी सुंदर (सलवा जुडूम केस), विनीत नारायण (सीबीआई और सीवीसी की शक्तियों पर), नर्मदा बांध केस, नरसिम्हा राव केस (संसदीय विशेषाधिकारों पर) जैसे उल्लेखनीय मामलों में पेश हुए। वह 1963 से 1969 तक टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए कानूनी संवाददाता भी थे। देसाई लॉ कॉलेज में लॉ के प्रोफेसर थे, 1964 से बॉम्बे और 1967-1972 तक बॉम्बे कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म में लॉ लेक्चरर रहे।