शपथ लेते ही मां के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया न्यायमूर्ति बोबडे ने, मां को स्ट्रेचर पर राष्ट्रपति भवन लाया गया था

By भाषा | Published: November 18, 2019 02:31 PM2019-11-18T14:31:20+5:302019-11-18T20:24:00+5:30

न्यायमूर्ति बोबडे ने अंग्रेजी में ईश्वर के नाम पर शपथ ली। प्रधान न्ययाधीश के रूप में न्यायमूर्ति बोबडे का कार्यकाल 17 महीने से अधिक रहेगा और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति बोबडे ने शपथग्रहण करने के तुरंत बाद अपनी मां के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया।

As soon as he took the oath, he touched his feet and took his blessings. Justice Bobde, mother was brought to the Rashtrapati Bhavan on a stretcher. | शपथ लेते ही मां के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया न्यायमूर्ति बोबडे ने, मां को स्ट्रेचर पर राष्ट्रपति भवन लाया गया था

न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबडे ने सोमवार को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की।

Highlightsपूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा, तीरथ सिंह ठाकुर और जे एस खेहड़ भी उपस्थित थे।प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण करने के बाद न्यायमूर्ति बोबडे उच्चतम न्यायालय पहुंचे और उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया।

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबडे ने सोमवार को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की।

निजता के अधिकार के प्रबल समर्थक न्यायमूर्ति बोबडे ने अनेक महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं और वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में ऐतिहासिक निर्णय सुनाने वाली संविधान पीठ के भी सदस्य रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के दरबार कक्ष में आयोजित संक्षिप्त समारोह में न्यायमूर्ति बोबड़े को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।

न्यायमूर्ति बोबडे ने अंग्रेजी में ईश्वर के नाम पर शपथ ली। प्रधान न्ययाधीश के रूप में न्यायमूर्ति बोबडे का कार्यकाल 17 महीने से अधिक रहेगा और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति बोबडे ने शपथग्रहण करने के तुरंत बाद अपनी मां के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया। न्यायमूर्ति बोबडे की मां को स्ट्रेचर पर राष्ट्रपति भवन लाया गया था।

न्यायमूर्ति बोबडे के शपथग्रहण समारोह मे उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों के अलावा पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा, तीरथ सिंह ठाकुर और जे एस खेहड़ भी उपस्थित थे।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केन्द्रीय मंत्रियों और राजनीतिक व्यक्तियों से मुलाकात की और उनसे हाथ मिलाया

दरबार कक्ष में पहुंचने के बाद पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केन्द्रीय मंत्रियों और राजनीतिक व्यक्तियों से मुलाकात की और उनसे हाथ मिलाया। प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण करने के बाद न्यायमूर्ति बोबडे उच्चतम न्यायालय पहुंचे और उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया।

अभूतपूर्व सद्भावना कदम के तहत प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने खचाखच भरे न्यायालय कक्ष में जमैका के मुख्य न्यायाधीश ब्रायन साइक्स और भूटान उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के. शेरिंग के साथ मंच साझा किया। उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश खन्ना सहित अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता, प्रधान न्यायाधीश के रिश्तेदार और अनेक मित्र न्यायालय कक्ष में उपस्थित थे। वरिष्ठता के नियमों के अनुसार ही पिछले महीने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति बोबडे के नाम की सिफारिश की थी।

न्यायमूर्ति गोगोई रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा था कि वह उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके नाम को खारिज करने संबंधी कॉलेजियम के फैसलों का खुलासा करने के मामले में पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाएंगे।

न्यायमूर्ति बोबडे ने पिछले महीने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा था कि नागरिकों की जानने की इच्छा पूरी करने के लिए लोगों की प्रतिष्ठा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। देश की अदालतों में न्यायाधीशों के खाली पड़े पदों और न्यायिक आधारभूत संरचना की कमी के सवाल पर न्यायमूर्ति बोबडे ने अपने पूर्ववर्ती प्रधान न्यायाधीश गोगोई की ओर से शुरू किए गए कार्यों को तार्किक मुकाम पर पहुंचाने की इच्छा जताई। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे भी थे।

इसी तरह न्यायमूर्ति बोबडे उस संविधान पीठ के भी सदस्य थे जिसने अगस्त 2017 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहड़ की अध्यक्षता में अपने फैसले में व्यवस्था दी थी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार के दायरे में आता है। वह महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं और उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे।

न्यायमूर्ति बोबडे उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की उस आंतरिम समिति के अध्यक्ष थे जिसने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोप में क्लीन चिट दी थी। समिति में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं। यह आरोप लगाने वाली महिला शीर्ष अदालत की पूर्व कर्मचारी थी। वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार कार्ड के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।

हाल ही में न्यायमूर्ति बोबडे की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखाकार विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया था कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़े।

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक वकालत करने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। न्यायमूर्ति बोबडे ने 29 मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। उनकी 12 अप्रैल 2013 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति हुई थी। 

English summary :
Senior Supreme Court judge Sharad Arvind Bobde was sworn in as the 47th Chief Justice of the country on Monday.


Web Title: As soon as he took the oath, he touched his feet and took his blessings. Justice Bobde, mother was brought to the Rashtrapati Bhavan on a stretcher.

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