रुपे कार्ड, यूपीआई के आने से बाजार में घटी मास्टर कार्ड, वीजा की हिस्सेदारी : अरुण जेटली
By भाषा | Published: November 8, 2018 08:16 PM2018-11-08T20:16:51+5:302018-11-08T20:16:51+5:30
यूपीआई को 2016 में शुरू किया गया था। इसमें वास्तविक समय में दो मोबाइल धारकों के बीच भुगतान होता है।इसके जरिए अक्टूबर 2016 में भुगतान 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था जो सितंबर 2018 में बढ़ कर 59,800 करोड़ रुपये हो गया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्वदेशी रुपे कार्ड और युनिफाइड भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) की वजह से मास्टर कार्ड और वीजा जैसी वैश्विक भुगतान गेटवे कंपनियां अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवा रही हैं।
नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ पर एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने कहा कि नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन में बढ़ोत्तरी हुई है।
जेटली ने कहा, ‘‘वीजा और मास्टर कार्ड आज भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी गंवा रही हैं। डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले कुल भुगतान में स्वदेशी तौर पर विकसित यूपीआई और रुपे कार्ड की बाजार हिस्सेदारी 65 फीसदी तक पहुंच गई है।
यूपीआई को 2016 में शुरू किया गया था। इसमें वास्तविक समय में दो मोबाइल धारकों के बीच भुगतान होता है।इसके जरिए अक्टूबर 2016 में भुगतान 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था जो सितंबर 2018 में बढ़ कर 59,800 करोड़ रुपये हो गया।
इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने भीम एप को पेश किया। यह भी यूपीआई पर काम करता है और वर्तमान में करीब 1.25 करोड़ लोग इसका उपयोग करते हैं। सितंबर 2016 में भीम एप से होने वाले लेनदेन की राशि दो करोड़ रुपये थी जो सितंबर 2018 में बढ़कर 7,060 करोड़ रुपये हो गई है। जून 2017 के आंकड़ों के अनुसार यूपीआई से होने वाले कुल लेनदेन में भीम की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत थी।
नोटबंदी से पहले रुपे कार्ड से 800 करोड़ रुपये का लेनदेन होता था। इस कार्ड के स्वाइप (पॉइंट ऑफ सेल के माध्यम) से सितंबर 2018 तक लेन देन बढ़कर 5,730 करोड़ रुपये हो गया। जबकि रुपे कार्ड से ई-वाणिज्य साइटों पर की जाने वाली खरीद 300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,700 करोड़ रुपये हो गई है।