अरुण जेटली: आपातकाल में 19 महीने जेल में रहने से लेकर देश के वित्त मंत्री बनने तक का सफर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 29, 2019 01:40 PM2019-05-29T13:40:59+5:302019-05-29T14:15:12+5:30

अरुण जेटली 1991 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य बन गए। 1999 के आम चुनाव में वे बीजेपी के प्रवक्‍ता बने और बीजेपी की केंद्र में सरकार आने के बाद उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्‍वतंत्र प्रभार सौंपा गया।

arun jaitley opts out of new Cabinet cites health reasons in letter to PM modi profile story | अरुण जेटली: आपातकाल में 19 महीने जेल में रहने से लेकर देश के वित्त मंत्री बनने तक का सफर

अरुण जेटली ने अपने राजनीतिकर करियर की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय से की थी।

Highlightsअरुण जेटली 1974 में दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के छात्र संघ के अध्‍यक्ष चुने गए थे।1975 में आपातकाल के दौरान आपातकाल का विरोध करने के बाद उन्‍हें 19 महीनों तक नजरबंद रखा गया।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अरुण जेटली ने बुधवार को एक पत्रकर लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मंत्रिमंडल में न शामिल करने का अनुरोध किया।  उन्होंने पत्र में लिखा कि मुझे मंत्री बनाने पर विचार न करें। राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली देश के जाने-माने वकील भी हैं।

1974 में बने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष

जेटली का जन्‍म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्‍ली के नारायणा विहार इलाके के मशहूर वकील महाराज किशन जेटली के घर हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्‍ली के सेंट जेवियर स्‍कूल में हुई। 1973 में इन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने यहीं से लॉ की पढ़ाई की। छात्र जीवन में ही जेटली राजनीतिक पटल पर छाने लगे। वह 1974 में वे दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के छात्र संघ अध्‍यक्ष चुन लिए गए। 

आपातकाल में हुई जेल

1974 में अरुण जेटली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। 1975 में आपातकाल के दौरान आपातकाल का विरोध करने के बाद उन्‍हें 19 महीनों तक नजरबंद रखा गया। 1973 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण और राजनारायण द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्‍टाचार विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। आपातकाल के बाद 1977 में वे हाई कोर्ट में अपनी वकालत की तैयारी करने लगे।

देश के महंगे वकीलों में से एक

1990 में अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में वरिष्‍ठ वकील में रूप में अपनी नौकरी शुरू की। वीपी सिंह सरकार में उन्‍हें 1989 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था। उन्‍होंने बोफोर्स घोटाले की जांच में पेपरवर्क भी किया। जेटली वर्तमान में देश के टॉप 10 वकीलों में से एक हैं।

बीजेपी में जल्द बढ़ा ग्राफ

जेटली 1991 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य बने। प्रखर प्रवक्ता और हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उनके ज्ञान के चलते 1999 के आम चुनाव में बीजेपी उन्हें प्रवक्‍ता बनाया। अटल बिहारी सरकार में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्‍वतंत्र प्रभार सौंपा गया। इसके बाद उन्‍हें विनिवेश का स्‍वतंत्र राज्‍यमंत्री बनाया गया।
राम जेठमलानी के कानून, न्‍याय और कंपनी अफेयर मंत्रालय छोड़ने के बाद जेटली को इस मंत्रालय का अतिरिक्‍त कार्यभार सौंपा गया। 2000 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्‍हें कानून, न्‍याय, कंपनी अफेयर तथा शिपिंग मंत्रालय का मंत्री बनाया गया। 

एनडीए के सत्ता से बाहर होने के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने

लोकसभा चुनाव 2004 और लोकसभा चुनाव 2009 में बीजेपी की करारी हुई। 2009 में जब बीजेपी परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी तब अरुण जेटली को राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2009 में जेटली बीजेपी प्रचार अभियान समिति के प्रमुख भी थे।

दिल्ली में बने पीएम मोदी के दाहिने हाथ

लोकसभा चुनाव 2014 से पहले जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया तब दिल्ली में मोदी ने जेटली पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया। पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2014 में पंजाब के अमृतसर से चुनाव लड़ाया लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों उन्हें हार मिली। इसके बावजूद अरुण जेटली को देश का वित्त मंत्री बनाया गया।
 

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