अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधान सभा से मिले नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानिए क्या कहा अदालत ने

By भाषा | Published: October 13, 2020 08:01 AM2020-10-13T08:01:50+5:302020-10-13T08:01:50+5:30

महाराष्ट्र विधान सभा की ओर से अर्णब गोस्वामी को मिले कारण बताओ नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी याचिका पर किसी कार्रवाई के बाद ही विचार किया जा सकता है।

Arnab Goswami plea can entertained if action taken, says Supreme court on breach of privilege notice | अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधान सभा से मिले नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानिए क्या कहा अदालत ने

अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधान सभा से मिले नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)

Highlights अर्णब गोस्वामी को सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में उनके कार्यक्रम पर मिला है नोटिससुप्रीम कोर्ट ने कहा- महज कारण बताओ नोटिस जारी होने पर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र विधान सभा द्वारा विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही के लिये अर्णब गोस्वामी को जारी कारण बताओ नोटिस पर कोई कार्रवाई होने के बाद ही उनकी याचिका पर विचार किया जा सकता है। अर्णब को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में उनके कार्यक्रम को लेकर यह नोटिस जारी किया गया है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी समझ के अनुसार इस याचिका पर तभी विचार किया जा सकता है जब अर्णब गोस्वामी को जारी कारण बताओ नोटिस के आलोक में विशेषाधिकार समिति उनके खिलाफ किसी कार्रवाई की सिफारिश करती है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने अर्णब की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिये स्थगित कर दी।

उद्धव ठाकरे के बारे में टिप्पणी को लेकर नोटिस

अर्णब गोस्वामी को राजपूत की मौत के मामले से संबंधित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बारे में कतिपय टिप्पणियां करने के कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पीठ ने कहा कि अदालत को कानून को उचित सम्मान देना होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘कानून की हमारी समझ के अनुसार याचिका पर तभी विचार किया जा सकता है जब समिति ने कोई कार्रवाई की हो। महज कारण बताओ नोटिस जारी होने पर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।’’

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ को सूचित किया कि कार्यालय रिपोर्ट के अनुसार सुनवाई की पिछली तारीख को महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव के लिये जारी नोटिस की अभी तक तामील नहीं हुयी है।

'सॉलिसीटर जनरल क्यों पेश हो रहे हैं'

पीठ ने साल्वे से जानना चाहा कि इस मामले में सॉलिसीटर जनरल क्यों पेश हो रहे हैं जबकि भारत सरकार को इसमें पक्षकार नहीं बनाया गया है। साल्वे ने कहा कि भारत सरकार को भी नोटिस तामील की गयी है। पीठ ने साल्वे से कहा कि वह हलफनामा दाखिल करें कि महाराष्ट्र विधानभा के सचिव को नोटिस की अभी तक तामील नही हुयी है।

प्रधान न्यायाधीश ने इसके बाद इस मामले में पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उन्होंने साल्वे से पूछा है कि सदन की विशेषाधिकार समिति ने क्या कोई कार्रवाई की है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले का उन्हें थोड़ा अनुभव है क्योंकि उनके पिता (अरविन्द श्रीनिवास बोबडे) और प्रख्यात विधिवेत्ता नानी पालखीवाला को भी एक बार महाराष्ट्र विधानसभा से इसी तरह के नोटिस मिले थे।

उन्होंने कहा, ‘‘सदन में अगर एक सदस्य, दूसरे सदस्य के खिलाफ बयान देने का आरोप लगाता है तो अध्यक्ष इसका संज्ञान लेकर इसे विशेषाधिकार समिति को भेज देते हैं। मेरे पिता और स्व. पालखीवाला को एक बार महाराष्ट्र विधानसभा ने ऐसे ही नोटिस दिये थे।’’ सिंघवी ने इस बात से सहमति व्यक्त की कि अगर विशेषाधिकार हनन के मामले में कोई कार्रवाई की जाती है तो याचिका पर विचार किया जा सकता है।

दो सप्ताह बाद फिर मामले पर सुनवाई

साल्वे ने कहा कि उनके मुवक्किल के लिये विधानसभा सचिव की ओर से नोटिस स्वीकार करने से इंकार किया जाना ही चिंता की बात है। पीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करते हुये साल्वे से कहा कि वह एक हलफनामा दाखिल करें।

न्यायालय ने अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की प्रक्रिया शुरू करने के लिये जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर 30 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को नोटिस जारी किया था।

विधानसभा सचिव को एक सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना था। साल्वे का कहना था कि गोस्वामी ने विधानसभा की किसी समिति या विधानसभा की कार्यवाही में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया है। इस पर पीठ की टिप्पणी थी कि यह सिर्फ विशेषाधिकार हनन का नोटिस है। कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया गया।

साल्वे की दलील थी कि किसी बाहरी व्यक्ति के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही शुरू करने के लिये सदन की समिति या सदन के कामकाज में हस्तक्षेप होना चाहिए था। पीठ ने साल्वे से कहा, ‘‘हमें अभी भी संदेह है कि क्या यह मामला सदन की विशेषाधिकार समिति के पास गया भी है। हम नोटिस जारी करेंगे।’’ इस पर साल्वे ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करूं कि मैं पूरी तरह सुरक्षित हूं।’’

Web Title: Arnab Goswami plea can entertained if action taken, says Supreme court on breach of privilege notice

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