जब आतंकी ने कर्नल आशुतोष शर्मा का फोन उठाकर कहा था- 'अस्सलाम वालेकुम', जानें कैसे इसके बाद बदला हंदवाड़ा एनकाउंटर का रुख
By पल्लवी कुमारी | Published: May 4, 2020 10:45 AM2020-05-04T10:45:28+5:302020-05-04T10:45:28+5:30
कर्नल आशुतोष शर्मा उत्तर कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान 3 मई सुबह शहीद होने वाले पांच सुरक्षाकर्मियों में शामिल हैं। आतंकवाद का मुकाबला करने के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वह 21 वहीं राष्ट्रीय राइफल्स के दूसरे कमांडिंग ऑफिसर थे।
श्रीनगर: उत्तर कश्मीर के रजवार जंगल स्थित एक गांव में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में एक कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश और लांस नायक दिनेश और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर सागीर पठान उर्फ काजी शहीद हो गए हैं। इसके साथ ही दो आतंकवादी भी मारे भी गए हैं। शहीद हुए ये सभी ब्रिग्रेड आफ द गार्ड्स रेजीमेंट से थे। और वर्तमान में 21 राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा थे जो कि आतंकवाद निरोध के लिए तैनात है। कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच 13 घंटे तक चले एनकाउंटर का पूरा रुख उस वक्त बदला जब, कर्नल आशुतोष शर्मा का फोन उठाकर आतंकी ने कहा था- अस्सलाम वालेकुम। कर्नल आशुतोष शर्मा के फोन पर किए गए कॉल का यह जवाब मिलने के बाद हंदवाड़ा के छंजमुल्ला इलाके में स्थित घर को घेरे खड़े सैनिकों और पुलिस अधिकारियों को पता चला कि उनका बहुत बड़ा नुकसान हो गया है। सेना ये समझ चुकी थी कि आशुतोष शर्मा और उनके साथ की टीम किसी खतरे में है।
जब आतंकियों ने कर्नल आशुतोष शर्मा का फोन उठाया तो ये समझ आ चुका था कि वो शहीद हो गए हैं
सुरक्षा बलों को पिछले कुछ दिनों से हंदवाड़ा क्षेत्र में रजवार के जंगल में कुछ आतंकवादियों की मौजूदगी का पता चला था और गुरुनार को जंगल में एक संक्षिप्त मुठभेड़ हुई थी। शनिवार दोपहर के आसपास, चंगीमुल्ला गांव स्थित एक घर के भीतर आतंकवादियों के एक समूह की मौजूदगी की खुफिया सूचना मिली। इसके बाद कर्नल आशुतोष शर्मा ने अपनी टीम और काजी के साथ मिलकर घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया। शनिवार शाम 5:30 बजे के बाद उस घर में कर्नल आशुतोष शर्मा गए, जहां आतंकियों ने कुछ लोगों को बंदी बनाया था। अंदर फंसे परिवार को बाहर निकालने में तो टीम सफल रही थी लेकिन खुद घिर गए। इसके बाद उनकी ओर से कोई संकेत नहीं मिल रहा था। कुछ समय तक शांति रहने के बाद बाद कर्नल शर्मा और चार अन्य कर्मी यह मानकर बगल में स्थित गोशाला से घर में घुसे कि आतंकवादी भारी गोलीबारी में मारे गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, टीम नागरिकों को बचाने के बाद भारी गोलीबारी की जद में आ गई और कर्नल शर्मा और उनकी टीम के साथ सभी संचार सम्पर्क टूट गया। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, ''6 बजे से 10 बजे रात तक हमने उनसे और टीम के अन्य सदस्यों से संपर्क करने की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। 4 घंटे बाद रात करीब 10 बजे टीम के मोबाइल फोन पर की गई कॉल का जवाब आतंकवादियों ने दिया। कॉल का जवाब देते हुए उधर से कहा गया,'अस्सलाम वालेकुम।' इसके बाद 4 घंटे से रुकी गोलीबारी दोबारा शुरू हो गई। रातभर दोनों ओर से फायरिंग होती रही।
सेना ने उसके बाद पैरा-ट्रूपर को भेजा और उन्होंने यह पता लगने के बाद कि सैन्य अधिकारी और उनकी टीम मुठभेड़ में शहीद हो गई है, पौ फटते ही एक अभियान शुरू किया और दोनों आतंकवादियों को मार गिराया। अभियान पूरा होने के बाद सुबह घर की तलाशी ली गई मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों के शव हथियार और गोलाबारूद के साथ बरामद किया गया।
कर्नल शर्मा को याद करते हुए पढ़ें उनके बड़े भाई ने क्या कहा?
कर्नल शर्मा को याद करते हुए उनके बड़े भाई पीयूष ने कहा कि वह हमेशा ही अपने तरीके से काम किया करते थे, चाहे जो कुछ क्यों न हो जाए। जयपुर में एक दवा कंपनी में काम करने वाले पीयूष ने कहा, ‘‘उनका एकमात्र सपना थल सेना में भर्ती होना था, कुछ और नहीं।’’ पीयूष ने पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा, ‘‘13 वें प्रयास में सफलता हासिल करने तक वह थल सेना में शामिल होने के लिये जी-जान से जुटे रहे थे। ’’ कर्नल शर्मा अपने बड़े भाई पीयूष से तीन साल छोटे थे। कर्नल शर्मा 2000 के दशक शुरूआत में थल सेना में शामिल हुए थे। अपने भाई के साथ एक मई को हुई बातचीत को याद करते हुए पीयूष ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय राइफल्स का स्थापना दिवस था और उसने हमें बताया कि उन लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच इसे कैसे मनाया।’’
उन्होंने अपनी आंखों से आंसुओं को गिरने से रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘मैं उसे कई बार आगाह किया करता था और उसने इसका एक ही जवाब तय कर रखा था, ‘मुझे कुछ नहीं होगा, भैया’।’’ उन्होंने बताया कि कर्नल शर्मा ने कुछ तस्वीरें भेजी थी और परिवार के पास यह उसकी आखिरी यादें हैं। कर्नल शर्मा की बेटी तमन्ना छठी कक्षा में पढ़ती है। पीयूष ने कहा, ‘‘मुझे यह जरूर लगता है कि वह बहादुर पिता की बहादुर बेटी है...।’’
जानें हंदवाड़ा मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों पर किसने क्या कहा?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, जो सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ भी हैं, ने सैनिकों और सुरक्षा जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘‘... कृतज्ञ राष्ट्र हमेशा उनके सर्वोच्च बलिदान को याद करेगा। पूरा देश आतंकवाद और बुराइयों के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होकर खड़ा है। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थना शहीदों के परिवार के साथ है।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हंदवाड़ा में शहीद हुए हमारे साहसी सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि। उनके पराक्रम और शहादत को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने पूरी लगन से देश की सेवा की और अपने नागरिकों की रक्षा के लिए अथक कार्य किए। उनके परिजन और दोस्तों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं।’’
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसे 'बेहद परेशान करने वाला और दर्द भरा' करार दिया। वहीं, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हंदवाड़ा में हुई मुठभेड़ कश्मीर के लोगों की जिंदगियों को सुरक्षित रखने के सुरक्षा बलों के दृढ निश्चय को दर्शाती है। सेना ने एक ट्वीट में कहा, सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे और सेना के सभी अधिकारी ‘‘सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के उन बहादुर बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने हंदवाड़ा में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए और उन्हें मार गिराने में सर्वोच्च बलिदान दिया।’’
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘‘हम आतंकवाद का मुकाबला करने और लोगों के लिए सुरक्षित सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की वीरता को सलाम करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि हंदवाड़ा इलाके में हुए मुठभेड़ में शहादत देने वाले सुरक्षाकर्मियों द्वारा किया गया सर्वोच्च बलिदान हमेशा याद किया जाएगा।