सेब की बंपर पैदावार के बावजूद कश्मीरी किसानों में निराशा, बनी घाटे का सौदा, जानिए क्यों?

By सुरेश एस डुग्गर | Published: December 7, 2022 04:15 PM2022-12-07T16:15:20+5:302022-12-07T16:24:51+5:30

एक कश्मीरी सेब उत्पादक रहीम का कहना था कि मौजूदा दरों की बात करें तो यह पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है। सेब का एक डिब्बा पिछले साल के 1100-1200 रुपये प्रति डिब्बे की तुलना में अब 400-500 रुपये में बिक रहा है।

Apple crop has become a loss deal for Kashmiris this time | सेब की बंपर पैदावार के बावजूद कश्मीरी किसानों में निराशा, बनी घाटे का सौदा, जानिए क्यों?

सेब की बंपर पैदावार के बावजूद कश्मीरी किसानों में निराशा, बनी घाटे का सौदा, जानिए क्यों?

Highlightsइस साल पैकेजिंग बाक्स की कीमत में भी 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। बंपर उत्पादन के कारण कीमतें कम हुई हैंकेमिकल स्प्रे से लेकर लेबर और पैकेजिंग तक सब कुछ महंगा है।

जम्मू। कश्मीरियों के लिए इस बार सेब की फसल मुसीबत बन गई है। इस बार उद्यानों में सेब की इतनी बंपर पैदावार हुई है की अब उन्हें संभालने के लिए कोल्ड स्टोरेज भी कम पड़ गए हैं। पहले ही उम्मीद से ज्यादा फसल के पैदा होने के कारण भाव गिर गए और पैकेजिंग मेटिरियल के दामों में वृद्धि ने उन्हें घाटे में पहुंचा दिया। कश्मीर के फल उत्पादक सेब के लिए कोल्ड स्टोरेज खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ताकि बाद में इन सेबों को महंगे दामों पर बेचा जा सके।

अब जबकि कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई है उत्पादकों को सेब के लिए कोल्ड स्टोरेज की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। किसान नुकसान की भरपाई के लिए बेमौसम में अपनी उपज बेचने की योजना बना रहे हैं।

एक कश्मीरी सेब उत्पादक रहीम का कहना था कि मौजूदा दरों की बात करें तो यह पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है। सेब का एक डिब्बा पिछले साल के 1100-1200 रुपये प्रति डिब्बे की तुलना में अब 400-500 रुपये में बिक रहा है। जबकि न्यू कश्मीर फ्रूट एसोसिएशन के महासचिव शाहिद चौधरी का कहना था कि इस साल, हमारे पास बंपर फसल थी, लेकिन दरें बहुत कम हैं।
उन्होंने कहा कि अभी भी 30 प्रतिशत उपज गोदामों में पड़ी है। वे कहते थे कि सेब का मौसम करीब आ रहा है और लगभग 30 प्रतिशत उपज अभी तक बिकनी बाकी है। बाहर के डीलरों ने इस साल हमारी उपज के लिए कम कीमत लगाई है जिस कारण अब हमने फसल को अभी नहीं बेचने का फैसला किया है।

पर कश्मीर में कोल्ड स्टोरेज की अनुपलब्धता ने समस्या को जटिल बना दिया है। शाहिद ने कहा कि कश्मीर के सभी कोल्ड स्टोरेज क्षमता से भरे हुए हैं, जिससे बड़ी संख्या में उत्पादकों को निराशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि पंजाब, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों में कोल्ड स्टोरेज भी बुक हो गए हैं।

शाहिद के मुताबिक, परिमपोरा फल मंडी से रोजाना औसतन करीब 200 सेब लदे ट्रक निकलते हैं। आजादपुर फल मंडी में सेब के डिब्बे का भाड़ा पिछले साल के 60 रुपये के मुकाबले अब 90 रुपये है। केमिकल स्प्रे से लेकर लेबर और पैकेजिंग तक सब कुछ महंगा है। हमने प्रत्येक सेब के डिब्बे पर लगभग 450 रुपये खर्च किए। सोपोर के सेब उत्पादक मोहम्मद सलीम मीर के मुताबिक, हम इस साल भारी नुकसान उठाने को मजबूर हो रहे हैं।

गौरतलब है कि इस साल पैकेजिंग बाक्स की कीमत में भी 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। प्रत्येक कार्डबोर्ड बाक्स की कीमत में 30 रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि लकड़ी के बक्से की दरों में 60 प्रतिषत की वृद्धि हुई है।

बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बंपर उत्पादन के कारण कीमतें कम हुई हैं। अधिकारी का कहना था कि चूंकि कई लोगों ने सेब को कोल्ड स्टोरेज में रखा है, इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले महीनों में बाजार में कीमतें ऊपर जाएगी।

Web Title: Apple crop has become a loss deal for Kashmiris this time

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे