आंध्र प्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा में बदलाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लगा रही दांव
By भाषा | Updated: August 8, 2021 17:51 IST2021-08-08T17:51:46+5:302021-08-08T17:51:46+5:30

आंध्र प्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा में बदलाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लगा रही दांव
(सूर्या देसराजू)
अमरावती, आठ अगस्त आंध्र प्रदेश सरकार व्यापक अकादमिक और प्रशासनिक सुधारों के जरिए स्कूली शिक्षा में बदलाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर बड़ा दांव लगा रही है, जिसमें छात्रों की सीखने की क्षमताओं में सुधार पर मुख्य ध्यान दिया गया है।
हाल के वर्षों में कई अध्ययनों में छात्रों में ‘‘पढ़ने और सीखने के खराब कौशल’’ को उजागर किया गया है। सरकार ने भी कई ‘‘मुख्य चिंताओं’’ की पहचान की है जिससे स्कूल शिक्षा व्यवस्था की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है।
उच्चतर माध्यमिक शिक्षा (नौवीं और दसवीं कक्षाओं) में छात्रों के स्कूल छोड़ने की बढ़ती दर चिंता का विषय है जबकि सरकार का दावा है कि उसने ‘‘त्रुटिहीन क्रांतिकारी सुधारों’’ को लागू किया है।
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट से पता चलता है कि आंध्र प्रदेश में तीसरी कक्षा में केवल 22.4 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की पाठ्यपुस्तकों को पढ़ सकते थे जबकि 38.4 प्रतिशत ही घटाव के सवालों का हल कर सकते थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा कि आठवीं कक्षा में केवल 47.60 प्रतिशत बच्चे ही गणित के भाग के सवाल हल कर सकते थे, जबकि पांचवीं में यह 39.3 प्रतिशत था। एक सरकारी पत्र में कहा गया है, ‘‘पहली या दूसरी कक्षा के शिक्षक पहली से पांचवीं कक्षा तक को पढ़ा रहे है और वे 18 विषयों को पढ़ा रहे हैं। इससे किसी एक कक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।’’
राज्य में कुल 39,212 प्राथमिक स्कूलों में 73 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में छात्रों का दाखिला 60 प्रतिशत से कम है। स्कूल शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘राज्य भर में छोटे आकार वाले स्कूल काफी संख्या में हैं। इतने प्राथमिक स्कूल होने के कारण मानव संसाधनों की भी बर्बादी हो रही है।’’
उन्होंने कहा कि यह भी एक वजह है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों के सीखने का कौशल खराब हैं। इसे दूर करने के लिए राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर भरोसा कर रही है। सरकार ने इस संबंध में स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार लाने, आंगनवाड़ी केंद्रों और गैर आवासीय स्कूलों के पुन: निर्माण तथा उनके स्थान परिवर्तन तथा मूलभूत शिक्षा को मजबूत करने जैसे कुछ मुख्य क्षेत्रों की पहचान की है, जिन पर काम किया जाना है।
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