मुकदमेबाजी और अवमानना के मामलों में फंसी आंध्र प्रदेश सरकार

By भाषा | Published: August 27, 2021 01:34 PM2021-08-27T13:34:42+5:302021-08-27T13:34:42+5:30

Andhra Pradesh government caught in litigation and contempt cases | मुकदमेबाजी और अवमानना के मामलों में फंसी आंध्र प्रदेश सरकार

मुकदमेबाजी और अवमानना के मामलों में फंसी आंध्र प्रदेश सरकार

अवमानना के मामलों और दायर की जा रही नई याचिकाओं से संबंधित कागजी कार्रवाई से आंध्र प्रदेश में सरकारी अधिकारियों का बोझ बढ़ गया है और इसके परिणामस्वरूप प्रशासन इनमें फंसकर रह गया है। एक तरफ, आंध्र सरकार राज्य उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में विशाल 1.94 लाख मामले लड़ रही है और दूसरी तरफ, कम से कम 450 मामले रोजाना के आधार पर जुड़ते जा रहे हैं। एक शीर्ष नौकरशाह ने कहा, “यह कम से कम 40,000 पन्नों की कागजी कार्रवाई है जो हर रोज दायर की जा रही केवल नई (रिट) याचिकाओं से संबंधित है। यह हमारे हाथों में कितना काम है इसके विशाल पैमाने को दर्शाता है।” उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी का खर्च बेहिसाब है। और, कुछ शीर्ष नौकरशाहों सहित सरकारी अधिकारियों को समय-समय पर अदालती आदेशों को लागू करने में विफल रहने के लिए लगभग 8,000 अवमानना ​​कार्यवाहियों का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व महाधिवक्ता दम्मालापति श्रीनिवास ने बताया, “(वाई एस जगन मोहन रेड्डी) सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उसके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।” मुकदमों में व्यापक रूप से प्रशासन और सार्वजनिक नीति के मुद्दों से जुड़ी हर चीज शामिल है जैसे एक व्यथित पेंशनभोगी (सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी) से लेकर कोई भी सामान्य नागरिक जो किसी सार्वजनिक कार्य का समर्थन करता है। जब राज्य की सतर्कता आयुक्त वीणा ईश ने एक दिन विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की, तो वह यह जानकर चकित रह गईं कि कई मामले, विशेष रूप से भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित मामलों का, दो दशकों से अधिक समय तक कोई निपटान नहीं हुआ है। एक चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ कि भ्रष्टाचार के कम से कम चार मामले बहुत पहले ही दोषसिद्धि के रूप में "समाप्त" हो गए थे, लेकिन अब भी "लंबित" के रूप में सूचीबद्ध थे। जब इस बारे में अचंभित विभाग प्रमुख ने अपने कर्मचारियों से पूछताछ की, तो उन्हें बताया गया कि संबंधित फाइलें "खो गई" थीं, जिसके कारण मामलों को अभी भी "लंबित" दिखाया जा रहा है। एक शीर्ष नौकरशारह ने पीटीआई-भाषा को बताया, “मामलों की नियमित निगरानी करने और आगे की कार्रवाई शुरू करने के लिए कोई उचित तंत्र मौजूद नहीं है। इससे कई मामलों में अवमानना की कार्यवाही भी हो रही है।

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Web Title: Andhra Pradesh government caught in litigation and contempt cases

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