सुप्रीम कोर्ट के जज नंबर-2 के खिलाफ आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन की CJI को चिट्ठी, सरकार गिराने की कोशिश सहित कई गंभीर आरोप
By विनीत कुमार | Published: October 11, 2020 09:07 AM2020-10-11T09:07:20+5:302020-10-11T09:07:20+5:30
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एन.वी. रमन्ना को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बारे में उन्होंने एक चिट्ठी भी चीफ जस्टिस एसए बोबडे को लिखी है।
एक बेहद अप्रत्याशित मामले के तहत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट में नंबर-2 जज एन.वी. रमन्ना को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंन लिखा कि हाई कोर्ट के कुछ जजों के रोस्टर को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है। साथ ही चिट्ठी में ये भी कहा गया है कि हाई कोर्ट का इस्तेमाल राज्य में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के प्रयास में हो रहा है।
जगन मोहन रेड्डी की ओर से लिखे 8 पन्नों की चिट्ठी में जस्टिस रमन्ना के टीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से कथित 'निकटता' का जिक्र किया गया है। साथ ही एंटी-करप्शन ब्यूरो की अमरावती में एक 'भूमि के संदिग्ध लेनदेन' की जांच में जस्टिस रमन्ना की दो बेटियों और अन्य के कथित नाम का भी जिक्र किया गया है।
6 अक्टूबर को लिखी गई चिट्ठी
ये चिट्ठी 6 अक्टूबर को लिखी गई थी और मीडिया के सामने हैदराबाद में इसे शनिवार को रिलीज किया गया। इसे जगनमोहन के मुख्य सलाहकार अजेय कल्लम की ओर से जारी किया गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री ने पत्र में जिक्र किया है कि 'कैसे टीडीपी से जुड़े महत्वपूर्ण कुछ मसले कुछ माननीय न्यायाधीशों को सौंपे गए हैं।'
पत्र में कहा गया है कि जब से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने मई 2019 में सत्ता हासिल की है और जून 2014 से मई 2019 तक एन चंद्रबाबू नायडू के शासन द्वारा किए गए सभी सौदों की जांच का आदेश दिया है, जस्टिस रमन्ना ने राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करना शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य के पूर्व महाधिवक्ता दम्मलापति श्रीनिवास पर भूमि सौदे की जांच को हाई कोर्ट द्वारा रोक दिया गया जबकि एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी।
मुख्यमंत्री ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा है कि धोखाधड़ी और अपराध की जांच इस आधार पर रोक दी गई कि आरोपी की ओर से ट्राजैक्शन में शामिल पैसों को लौटा दिया गया है।
गौरतलब है कि 15 सितंबर को हाई कोर्ट ने मीडिया को अमरावती में भूमि खरीद के संबंध में पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ एंटी-करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर की विस्तृत रिपोर्टिंग से भी रोक दिया था।
दरअसल, देश में यह पहली बार है कि किसी मुख्यमंत्री ने किसी सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ चीफ जस्टिस से ऐसी शिकायत की है। जगनमोहन ने चीफ जस्टिस से ऐसे कदम उठाने की गुजारिश की है जिससे 'आंध्र प्रदेश में न्यायपालिका की तटस्थता' को बरकरार रखा जा सके।