जानिए कौन हैं आनंदी गोपाल जोशी और गूगल ने क्यों उनके जन्मदिन पर बनाया डूडल
By रामदीप मिश्रा | Published: March 31, 2018 05:38 AM2018-03-31T05:38:51+5:302018-03-31T15:57:21+5:30
आनंदी गोपाल जोशी का जन्म महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था। नौ साल की उम्र में उनकी 20 साल से बड़े गोपाल जोशी से शादी हो गयी।
देश की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 में महाराष्ट्र के ठाणे शहर में हुआ था। इनके बारे में कहा जाता है कि वह अमेरिका की जमीन पर कदम रखने वाली और डॉक्टरी की डिग्री लेने वाली पहली हिंदू महिला थीं। यह वह दौर था जब महिलाओं महिलाओं की शिक्षा तो दूर बल्कि घर से भी निकलना दूभर होता था। ऐसी शख्सियत को आज गूगल भी डूडल बनाकर उनकी 153वीं जयंती सेलीब्रेट कर रहा है।
महिलाओं के लिए हैं मिसाल
आज के समय में आनंदीबाई जोशी महिलाओं के लिए मिसाल के तौर पर देखी जाती हैं। उनका विवाह नौ साल की उम्र में हो गया था, जबकि उनके पति गोपालराव उनसे 20 साल बड़े थे। छोटी उम्र में शादी हो जाने की वजह से उन्हें कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आनंदीबाई ने 14 साल की उम्र मां बन गई थीं, लेकिन उनकी एकमात्र संतान केवल 10 दिनों तक उनके साथ रह पाई थी। इसके बाद उसकी मृत्यु हो गई थी। संतान को खो देने के बाद उन्हें बहुत बड़ा आघात पहुंचा था।
बच्चे की मौत के बाद ठाना डॉक्टर बनना
बच्चे की असमय हुई मौत के बाद से आनंदीबाई परेशान रहने लगीं थीं क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था कि अगर डॉक्टर होता तो मेरा बच्चा बच सकता था। इसके बाद उन्होंने ठान लिया था कि अब उन्हें डॉक्टर बनना है। इसके लिए चाहे जो भी करना पड़े और डॉक्टर बनकर असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी। उनके इस कदम का पति गोपालराव ने भी भरपूर सहयोग दिया।
समाज की झेलनी पड़ी आलोचना
आनंदीबाई ने डॉक्टर बनने के ठान तो ली लेकिन जब साल 1886 में विदेश जाने की बात सामने आई तो उन्हें समाज में काफी आलोचना सहनी पड़ी। आलोचना इस बात की हो रही थी कि कैसे एक शादीशुदा हिंदू स्त्री विदेश (पेनिसिल्वेनिया) जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई कर सकती है, लेकिन आनंदीबाई ने आलोचनाओं की परवाह न करते हुए पहली भारतीय महिला डॉक्टर होने का गौरव प्राप्त किया।
22 साल की उम्र में हुआ निधन
विदेश से डॉक्टरी में डिग्री लेने के बाद 1886 के अंत में आनंदीबाई भारत लौट आईं। इस दौरान कोल्हापुर की रियासत ने उन्हें स्थानीय अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल के महिला वार्ड के चिकित्सक प्रभारी के रूप में नियुक्त कर दिया, लेकिन उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ने लगा और बाइस साल की उम्र में ही उनका निधन हो गया। आनंदीबाई का 26 फरवरी 1887 का निधन होने से पूरे भारत में शोक की लहर दौड़ गई।
1888 में लिखी गई उनकी जीवनी
आनंदीबाई के ऊपर कैरोलिन वेल्स हेली डेल ने 1888 में जीवनी लिखी लिखी है। इसके अलावा दूरदर्शन ने उनके के जीवन पर आधारित 'हिंदी आनंद' नामक एक हिंदी धारावाहिक को प्रसारित किया। श्रीकृष्ण जनार्दन जोशी ने अपने मराठी उपन्यास 'आनंदी गोपाल' में आनंदीबाई के जीवन का एक काल्पनिक लेख लिखा।