पाकिस्तान से लौटी गीता का नया ठिकाना आनंद सर्विस सोसाइटी, नए सिरे से होगी माता-पिता की खोज
By मुकेश मिश्रा | Published: July 21, 2020 04:48 PM2020-07-21T16:48:01+5:302020-07-21T16:48:01+5:30
गौरतलब है कि गीता पाकिस्तान में ईदी फाउंडेशन के साथ रह रही थी. 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उसे लेकर भारत आई थीं. उसे इन्दौर के गुमस्ता नगर स्थित मूक-बधिर संगठन में रखा गया.
इंदौरः पांच साल पहले पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक-बधिर गीता अब नया ठिकाना विजय नगर स्थित आनंद सर्विस सोसाइटी हो गया है. सोमवार को गीता यहाँ स्वेच्छा से रहने आयी है. सामाजिक न्याय विभाग के कर्मचारियों ने उसे अपनी निगरानी में विजय नगर स्थित इस संस्थान में छोड़ा है.
गौरतलब है कि गीता पाकिस्तान में ईदी फाउंडेशन के साथ रह रही थी. 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उसे लेकर भारत आई थीं. उसे इन्दौर के गुमस्ता नगर स्थित मूक-बधिर संगठन में रखा गया. भारत लाते समय यह कहा गया था कि उसके माता-पिता को खोजा जायेगा. जब तक सुषमा स्वराज जी जिन्दा रहीं उसके माता-पिता की खोज चलती रही.
उनके जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. संगठन के अध्यक्ष मुरली धमानी ने कहा कि गीता ने खुद ही यहां से जाने की इच्छा जताई थी. उसकी इच्छा को देखते हुए सामाजिक न्याय विभाग को लिखा गया था. सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों की निगरानी में उसे उसके नए घर भेजा गया.
दो दशक पहले बिछुड़े माता-पिता की नये सिरे से तलाश शुरू करेगा
यह संगठन गीता को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयासों के साथ ही उसके दो दशक पहले बिछुड़े माता-पिता की नये सिरे से तलाश शुरू करेगा. राज्य के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि गीता को स्थानीय गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) "मूक-बधिर संगठन" के छात्रावास से दिव्यांगों की मदद के लिये चलाये जा रहे एक अन्य एनजीओ "आनंद सर्विस सोसायटी" के परिसर में भेजा गया है.
यह कदम मूक-बधिर युवती की लिखित सहमति के बाद उठाया गया है. उन्होंने बताया कि आनंद सर्विस सोसायटी के संचालक और सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित को गीता की देख-रेख और उसके माता-पिता की खोज का दायित्व सौंपा गया है. गौरतलब है कि गीता को पाकिस्तान से स्वदेश लाने और उसके माता-पिता को खोजने के अभियान में पुरोहित शुरुआत से भारत सरकार की मदद कर रहे हैं.
नयी जगह आकर मैं खुश हूं. मुझे ईश्वर पर पूरा विश्वास है
पुरोहित की मदद से वीडियो कॉल पर गीता से हुई बातचीत में उसने इशारों की जुबान में कहा, "नयी जगह आकर मैं खुश हूं. मुझे ईश्वर पर पूरा विश्वास है कि वह एक दिन मुझे अपने बिछुड़े माता-पिता से मिला देगा." पुरोहित ने बताया कि सूबे के सीधी जिले का एक मूक-बधिर युवक गीता से शादी के लिये राजी है, लेकिन युवती का दो टूक कहना है कि अभी वह घर बसाने के बारे में नहीं सोच रही है.
गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी. गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तानी रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी.
भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थिक संगठन "ईधी फाउंडेशन" के आश्रय स्थल में रह रही थी. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी. इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था. तब से वह प्रदेश सरकार की देख-रेख में इसी परिसर में अन्य मूक-बधिरों के साथ रहकर पढ़ाई कर रही थी.