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जम्मू-कश्मीरः श्रीनगर में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच एनकाउंटर, मोबाइल इंटरनेट सेवाएं की गईं बंद 

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 19, 2020 06:44 IST

सुरक्षाबलों को आधी रात को पुराने श्रीनगर शहर के इलाके में आतंकवादियों के होने की सूचना मिली थी। सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान चलाया और जैसे ही उन्होंने इलाके की घेराबंदी की वैसे ही छिपे हुए आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ चल रही है। यह मुठभेड़ श्रीनगर के नवाकदल इलाके में बीती रात शुरू हुई है।सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घर रखा है। दोनों ओर से गोलीबारी लगातार जारी है।

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ चल रही है। यह मुठभेड़ श्रीनगर के नवाकदल इलाके में बीती रात शुरू हुई है। सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घर रखा है। दोनों ओर से गोलीबारी लगातार जारी है। इस बीच सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए श्रीनगर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। 

मिली जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों को आधी रात को पुराने श्रीनगर शहर के इलाके में आतंकवादियों के होने की सूचना मिली थी। सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान चलाया और जैसे ही उन्होंने इलाके की घेराबंदी की वैसे ही छिपे हुए आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस का कहना है कि श्रीनगर में लगभग दो साल बाद आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच गोलाबारी हुई है। 

इससे पहले जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में रविवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन का एक शीर्ष आतंकवादी मारा गया था। वह आरएसएस के एक पदाधिकारी और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की हत्या के मामले में वांछित था। अधिकारियों ने बताया था कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद डोडा कस्बे से 26 किलोमीटर दूर गुंडाना इलाके के पोस्ता-पोत्रा गांव में एक संयुक्त तलाश अभियान चलाया। इस दौरान मुठभेड़ शुरू हो गई, जो पांच घंटे तक चली थी। मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी शहीद हो गया था। 

उन्होंने बताया था कि वह हिज्बुल मुजाहिदीन के नवनियुक्त सरगना सैफुल्ला का करीबी सहयोगी था और उसे चिनाब घाटी क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को नए सिरे से तेज करने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसके मारे जाने को हिज्बुल के लिए एक बड़ा झटका और सुरक्षाबलों के लिए बड़ी सफलता है।

अधिकारी ने बताया था कि वह एक आईईडी बनाने में भी शामिल था, जिसका इस्तेमाल जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिछले साल मार्च में सीआरपीएफ के एक काफिले पर नाकाम हमले में किया गया था। उसके मारे जाने से चिनाब घाटी में आतंकवाद के फिर से सिर उठाने को एक बड़ा झटका लगेगा। डोडा जिले को एक बार फिर से आभासी तौर पर आतंकवाद से मुक्त करा लिया गया है और सुरक्षाबलों पर हमले की आतंकवादियों की योजना नाकाम कर दी गई। 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआतंकवादी
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