लद्दाख सीमा विवाद: भारत-चीन में आज हो सकती है संयुक्त सचिव स्तर की वार्ता
By निखिल वर्मा | Published: June 24, 2020 04:14 AM2020-06-24T04:14:52+5:302020-06-24T04:14:52+5:30
15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद स्थिति बिगड़ती चली गई है. दोनों पक्ष 3,500 किलोमीटर की सीमा के अधिकतर क्षेत्रों में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने लगे है.
भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच सीमा मामलों पर विचार-विमर्श व समन्वय के लिए काम करने वाली संस्था (डब्ल्यूएमसीसी) आज एक वर्चुअल मीटिंग कर सकती है। इस बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा पर चल रहे तनाव के बारे में चर्चा की जाएगी। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार डब्ल्यूएमसीसी मीटिंग का नेतृत्व दोनों देशों की तरफ से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे। 2012 में डब्ल्यूएमसीसी को संस्थागत तंत्र के तौर पर स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य भारत-चीन सीमा पर शांति कायम रखने के लिए दोनों मुल्कों के बीच सलाह-मशविरा और तालमेल बनाने का काम करना है।
वहीं भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से “हटने पर परस्पर सहमति” बन गई है। सेना के सूत्रों ने बताया कि सोमवार (22 जून) को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच हुई बातचीत सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई। पूर्वी लद्दाख में पिछले छह हफ्तों से चल रहे गतिरोध में उलझे बलों को पीछे हटाने का फैसला सोमवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोलदो में भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडरों के बीच करीब 11 घंटे चली बैठक में लिया गया।
थल सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने किया लेह का दौरा
मंगलवार को थल सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने लेह पहुंचने के बाद कमांडरों के साथ लद्दाख क्षेत्र में सेना की समग्र तैयारियों की समीक्षा की। सेना के अधिकारियों ने बताया कि लेह पहुंचने के तुरंत बाद जनरल नरवणे ने सेना के अस्पताल का दौरा किया जहां 15 जून को गलवान घाटी में घायल हुए 18 सैनिकों का उपचार चल रहा है।
अस्पताल का दौरा करने के बाद नरवणे ने नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। पिछले हफ्ते एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने लद्दाख और श्रीनगर हवाई अड्डों का दौरा किया था और क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना की तैयारियों की समीक्षा की थी।