Amarnath Yatra 2022: इस बार सेना के लिए युद्ध मोर्चा के समान होगी अमरनाथ यात्रा, करीब डेढ़ लाख सुरक्षाकर्मी तैनात

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 13, 2022 03:06 PM2022-06-13T15:06:47+5:302022-06-13T15:09:17+5:30

यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या डेढ़ लाख के करीब बताई जा रही है। 30 जून से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा इस बार इन सुरक्षाकर्मियों के लिए किसी युद्ध के मोर्चे से कम नहीं है।

Amarnath Yatra 2022 jammu kashmir administration prepared impenetrable security cover for shri amarnath yatra | Amarnath Yatra 2022: इस बार सेना के लिए युद्ध मोर्चा के समान होगी अमरनाथ यात्रा, करीब डेढ़ लाख सुरक्षाकर्मी तैनात

Amarnath Yatra 2022: इस बार सेना के लिए युद्ध मोर्चा के समान होगी अमरनाथ यात्रा, करीब डेढ़ लाख सुरक्षाकर्मी तैनात

Highlights25000 सुरक्षाकर्मी पहलगाम से लेकर गुफा तक होंगे तैनात18000 सुरक्षाकर्मियों की बालटाल से लेकर गुफा तक के मार्ग पर होगी तैनाती 30 जून से प्रारंभ होने वाली है अमरनाथ यात्रा

जम्मू: अमरनाथ यात्रा की सकुशलता की खातिर सेना ने पहलगाम से लेकर गुफा तक के 45 किमी लम्बे यात्रा मार्ग को अपने कब्जे में लेना आरंभ किया है। हजारों की संख्या में सैनिक इस मार्ग पर तैनात किए जाने लगे हैं। इनकी तैनाती के लिए हेलिकाप्टरों की सेवाएं भी ली जा रही हैं। रक्षाधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि यात्रा मार्ग पर छेड़े गए तलाशी अभियान में लड़ाकू हेलिकाप्टरों ने भी साथ दिया है। आतंकियों और विस्फोटक सामग्री की तलाश में यह अभियान छेड़ा गया है। इसी प्रकार जम्मू के भगवती नगर के आधार शिविर में तलाशी और सतर्कता बढ़ा दी गई है। इस बार सूचनाएं कहती हैं कि आतंकी इस शिविर को निशाना बना सकते हैं। 

30 जून से इन हजारों सैनिकों की परीक्षा की घड़ी आरंभ होने वाली है जिन्हें जम्मू कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर अनंतनाग जिले में स्थित अमरनाथ गुफा तक तैनात किया जा रहा है। कितने सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सिर्फ 25000 सुरक्षाकर्मी पहलगाम से लेकर गुफा तक और 18000 सुरक्षाकर्मी बालटाल से लेकर गुफा तक के मार्ग पर तैनात हो चुके हैं। इनमें सेना भी शामिल है। इस प्रकार यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या डेढ़ लाख के करीब बताई जा रही है।

असल में आधिकारिक तौर पर 30 जून से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा इस बार भी इन सुरक्षाकर्मियों के लिए किसी युद्ध के मोर्चे से कम नहीं है जिनके कांधों पर यात्रा की सुरक्षा का भार है। नतीजतन हजारों की संख्या में तैनात सुरक्षाकर्मियों की चिंता का कारण आतंकी गतिविधियां हैं जो यात्रा के आरंभ होने से पूर्व ही यात्रा पर खतरे के रुप में मंडरा रही हैं।

‘इस बार खतरा अधिक है। ड्रोन के साथ ही स्टिकी बम सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं जिनके लिए आसान लक्ष्य अमरनाथ यात्रा हो सकती है। अतः हम कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं,’यात्रा की सुरक्षा में जुट रहे एक सेनाधिकारी का कहना है। दूसरे शब्दों में वह सेनाधिकारी इस मोर्चे की तुलना युद्ध के मोर्चे से करता है।

इस बार उम्मीद 7 से 8 लाख से अधिक यात्री इसमें शामिल होने की है। हालांकि सरकार अभी तक कहती रही थी कि वह डॉ नीतिन सेन गुप्ता समिति की सिफारिशों को लागू करते हुए यात्रा को बाधा व दुर्घटना रहित बनाने की खातिर कुछ लाख से अधिक लोगों को अनुमति नहीं देना चाहती है और अब आप ही वह 8 लाख लोगों के आने की उम्मीद लगाए बैठी है।

सच कहा जाए तो सरकार इस बार परेशानी का कारण आप ही पैदा कर रही है। इस परेशानी को एक बार 1996 में भोगा जा चुका है जब प्राकृतिक आपदा 300 के करीब श्रद्धालुओं को लील गई थी। तब भी लाखों के हिसाब से लोग यात्रा में शामिल हुए थे और कुव्यवस्थाओं के चलते इन लोगों की मौत इसलिए भी हो गई थी क्योंकि बर्फबारी तथा बारिश से बचने का कोई उपाय न था और न ही अभी तक हो पाया है।

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