बिहार: जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद सहयोगी दलों के निशाने पर सीएम नीतीश कुमार
By एस पी सिन्हा | Published: January 17, 2022 07:44 PM2022-01-17T19:44:03+5:302022-01-17T19:44:03+5:30
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से मौत के मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जदयू को निशाने पर लिया।
पटना: बिहार में जहरीली शराब से आए दिन हो रही मौतों पर सियासत गर्म है। इस मुद्दे पर इन दिनों विपक्ष के अलावा सत्ताधारी एनडीए में भी विरोध के सुर फूट रहे हैं। खासकर भाजपा व जदयू के बीच जुबानी जंग तेज है।
इस बीच नालंदा जिले में जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से मौत के मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जदयू को निशाने पर लिया।
इस बीच एक ओर जहां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी की समीक्षा की मांग की है तो दूसरी ओर लोजपा (रामविलास) के प्रमुख व सांसद चिराग पासवान ने बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। चिराग पासवान ने भी नालंदा जाकर शराब कांड में मृतकों के स्वजनों से मुलाकात की।
उन्होंने घटना की निंदा करते हुए इसके लिए शासन-प्रशासन की विफलता को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले में मरने वालों के परिजनों को कोई मदद नहीं मिली है, केवल राजनीति हो रही है। पुलिस व प्रशासन की मिलीभगत के बिना शराब का निर्माण और उसकी तस्करी नामुमकिन है। उधर, लालू के लाल तेज प्रताप यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है।
तेजप्रताप ने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री को घेरे में लेते हुए कहा है कि साहब ने शराबबंदी वाली ढोंग की आड़ में 'खून' पीने का धंधा शुरू किया है। इसके बाद तेजप्रताप ने आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया है। वहीं, लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी घटना पर ट्वीट किया है- लुटता बिहार, पिटता बिहार, जहरीली शराब से मरता बिहार।
इस बीच, जहरीली शराब से मौत के मुद्दे पर हमले झेल रही नीतीश सरकार के बचाव में जदयू उतर आया है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर हमला करते हुए कहा कि वे कब क्या बोलते हैं, उन्हीं को समझ में आता होगा, हम तो नहीं समझ पाते हैं। उन्हें सवाल पूछना है तो सरकार से पूछें, पार्टी से सवाल करने का कोई अर्थ नहीं है।