नई दिल्ली, (5 मार्च) : त्रिपुरा में बीजेपी ने 25 साल का अपना वनवास खत्म किया है। यहां एक लंबे अरसे के बाद बीजेपी-आईपीएफटी के गठबंधन के साथ अपनी सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में अब सभी की निगाहें राज्य के अगले सीएम के चयन पर टिक गई हैं। खबर के मुताबिक बीजेपी यहां आदिवासी दांव खेलने के तैयारी कर रही है।
वहीं, बीजेपी की ओर से अभी तक जिस पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है 48 वर्षीय ‘बिपल्ब कुमार देब’। बिप्लब कुमार देब फिलहाल त्रिपुरा में भाजपा अध्यक्ष के पद पर हैं और उनके नेतृत्व में भाजपा ने त्रिपुरा से मानिक सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है। हांलाकि अभी के पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि लेफ्ट को औंधे मुंह गिराने वाले बिपल्ब को से पद मिलेगा ही कि नहीं।
अगर बिप्लब कुमार देब मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह उत्तर पूर्वी राज्यों में बीजेपी के चौथे सीएम होंगे। बिप्लब आरएसएस से जुड़े रहे हैं। हाल ही में बिप्लब कुमार देब ने कहा है कि मैं कोई भी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हूं। मैं किसी भी जिम्मेदारी से नहीं भागूंगा, लेकिन पार्टी नेतृत्व ही आखिरी निर्णय लेगा। वहीं, देब ने जीत के बाद भाजपा के नारे चलो पलटाई को दिए गए लोगों के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है और कहा है कि ‘वह उन 11 पार्टी कार्यकर्ताओं की मौत को कभी नहीं भूलेंगे, जिनकी चुनावों से पूर्व प्रचार के दौरान हत्या कर दी गई थी।
बिप्लब देब ने कहा कि ‘वह वादा करते हैं कि हाल ही में हुई 2 पत्रकारों की हत्या की भी सीबीआई की जांच भी कराएंगे। जनजातीय नेता और सीपीएम सांसद जितेंद्र चौधरी ने कहा, "यह हनीमून (भाजपा और आईपीएफटी के बीच) थोड़े समय तक रहेंगे। जल्द ही परिणाम घोषित होने के बाद, देबबर्मा ने आदिवासी या "ट्वीपरलैंड" के लिए एक अलग राज्य की आईपीएफटी मांग को दोहराया।