निचली अदालतें निर्णय हिंदी या अंग्रेजी में लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, आधी हिंदी और आधी अंग्रेजी में निर्णय मत लिखिए?, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 15, 2025 10:29 IST2025-11-15T10:29:04+5:302025-11-15T10:29:42+5:30

न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा और न्यायमूर्ति अजय कुमार की पीठ ने यह टिप्पणी वेद प्रकाश त्यागी नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक अपील खारिज करते हुए की।

Allahabad High Court says Lower courts free to write judgments in Hindi or English not write judgments half in Hindi and half in Hinglish | निचली अदालतें निर्णय हिंदी या अंग्रेजी में लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, आधी हिंदी और आधी अंग्रेजी में निर्णय मत लिखिए?, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा

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Highlightsनिर्णय आधी अंग्रेजी और आधी हिंदी में दिए गए निर्णयों का एक ‘‘क्लासिक उदाहरण’’ है।हिंदी में या फिर अंग्रेजी में लिखेंगी, इसे प्रदेश में सभी न्यायिक अधिकारियों को प्रेषित किया जाए।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि यद्यपि उत्तर प्रदेश राज्य में निचली अदालतें अपने निर्णय हिंदी या अंग्रेजी में लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे आधी हिंदी और आधी अंग्रेजी (हिंग्लिश) में निर्णय नहीं लिख सकतीं। न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा और न्यायमूर्ति अजय कुमार की पीठ ने यह टिप्पणी वेद प्रकाश त्यागी नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक अपील खारिज करते हुए की।

दहेज के लिए हत्या के एक मामले में शिकायतकर्ता त्यागी ने आरोपी पति को बरी किए जाने के निर्णय को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि एक हिंदी भाषी राज्य होने के नाते हिंदी में निर्णय लिखने का उद्देश्य यही है कि आम वादी अदालत द्वारा लिखे गए निर्णय को समझ सके और उन कारणों को समझ सके जो अदालत द्वारा उसके दावे को स्वीकार करने या खारिज करने के लिए दिए गए हैं। इसने कहा कि आगरा में सत्र अदालत द्वारा दिया गया निर्णय आधी अंग्रेजी और आधी हिंदी में दिए गए निर्णयों का एक ‘‘क्लासिक उदाहरण’’ है।

अदालत ने निर्देश दिया कि 29 अक्टूबर को दिया गया उसका निर्णय उचित कार्रवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए और साथ ही इस ‘‘उम्मीद और विश्वास’’ के साथ कि अदालतें अपने निर्णय या तो हिंदी में या फिर अंग्रेजी में लिखेंगी, इसे प्रदेश में सभी न्यायिक अधिकारियों को प्रेषित किया जाए।

Web Title: Allahabad High Court says Lower courts free to write judgments in Hindi or English not write judgments half in Hindi and half in Hinglish

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