इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान की जल्द रिहाई का दिया आदेश, CAA के विरोध में 'भड़काऊ' भाषण के लिए हुए थे गिरफ्तार
By विनीत कुमार | Published: September 1, 2020 10:53 AM2020-09-01T10:53:29+5:302020-09-01T10:59:24+5:30
डॉक्टर कफील खान फिलहाल मथुरा की जेल में बंद हैं। कोर्ट ने उनकी जल्द रिहाई के आदेश दिए हैं। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।
इलाहाबद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान की तुरंत रिहाई के आदेश दिए हैं। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ भाषण के बाद हिरासत में लिया गया था। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने डॉक्टर कफील की मां नुजहत परवीन की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिका के मुताबिक, डॉक्टर कफील को एक अदालत की ओर से जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। हालांकि चार दिनों तक उन्हें रिहा नहीं किया गया और बाद में उन पर रासुका लगा दिया गया। इसलिए उनकी हिरासत अवैध है।
Allahabad High Court grants conditional bail to Dr Kafeel Khan (in file pic).
— ANI UP (@ANINewsUP) September 1, 2020
He was booked under National Security Act (NSA) & arrested from Mumbai in January this year, for his alleged provocative speech at Aligarh Muslim University in December 2019, amid anti-CAA protests. pic.twitter.com/udv7ni1u0g
डॉक्टर कफील खान ने सीएए के विरोध के दौरान 13 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर एक भाषण दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उस भाषण को भड़काऊ मानकर उनपर रासुका लगाया गया था।
मुंबई से किया गया था गिरफ्तार
डॉक्टर कफील को अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाना में दर्ज मामले में 29 जनवरी को मुंबई हवाईअड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। इसी साल 10 फरवरी को अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट ने जमानत के आदेश दिए थे लेकिन उनकी रिहाई से पहले उन पर NSA लगा दिया गया। ऐसे में वो जेल से बाहर नहीं आ सके।
13 दिसंबर को दायर की गई एफआईआर में ये आरोप लगाए गए कि कफील खान ने विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण दिए और धार्मिक भावनाओं को भड़काया।
कोर्ट ने हालांकि उनकी रिहाई के आदेश देते हुए कहा, 'पूरे भाषण को पढ़ने के बाद पहली दृष्टि में ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने किसी तरह की हिंसा को भड़काने की कोशिश की। ऐसा लगता है कि जिला मजिस्ट्रेट ने उनके भाषण की असल मकसद को दरकिनार कर कुछ चुनिंदा बातों और कहावतों पर गौर किया।'
इससे पहले साल 2017 में गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 बच्चों की मौते की घटना के बाद कफील खान को निलंबित किया गया था और उनकी कथित भूमिका के लिए जेल भी भेजा गया था। हालांकि, पिछले ही साल सितंबर में यूपी सरकार की एक रिपोर्ट में उन्हें इस घटना से जुड़े आरोपों से मुक्त पाया गया।