भय्यूजी महाराज को अखाड़ा परिषद ने किया संत मामने से इनकार, बताई ये वजह
By भाषा | Published: June 17, 2018 08:03 PM2018-06-17T20:03:50+5:302018-06-17T20:06:25+5:30
हिन्दुओं की प्रमुख धार्मिक संस्था के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि, 'भय्यूजी महाराज की मौत का हमें दु:ख है। वह एक सम्मानित व्यक्ति थे, लेकिन हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की विवाहित हस्तियों को संत नहीं कहा जाना चाहिये।
इंदौर, 17 जून: साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़ों की शीर्ष संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने "गृहस्थ संतों" की अवधारणा पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि वह धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की विवाहित हस्तियों को संत का दर्जा नहीं देती। अपने भक्तों में "राष्ट्रसंत" के रूप में मशहूर भय्यूजी महाराज की खुदकुशी के बाद संतों की भूमिका पर जारी बहस के बीच अखाड़ा परिषद का यह अहम बयान सामने आया है। हिन्दुओं की प्रमुख धार्मिक संस्था के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि, 'भय्यूजी महाराज की मौत का हमें दु:ख है। वह एक सम्मानित व्यक्ति थे, लेकिन हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की विवाहित हस्तियों को संत नहीं कहा जाना चाहिये। उन्होंने कहा, "हम गृहस्थ संत जैसी किसी अवधारणा को कतई मान्यता नहीं देते। हम लोगों ने इस शब्दावली का कई बार विरोध भी किया है"।
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महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, "धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की हस्तियों को तय कर लेना चाहिये कि वे संतत्व चाहते हैं या घर-गृहस्थी। उन्हें एक साथ दो नावों की सवारी नहीं करनी चाहिये, वरना वे पारिवारिक तनाव-दबाव से स्वाभाविक तौर पर ग्रस्त रहेंगे"। उन्होंने दावा किया कि धर्म-अध्यात्म क्षेत्र में आज से करीब 50 साल पहले तथाकथित "गृहस्थ संतों" को तवज्जो नहीं दी जाती थी, लेकिन अब स्थिति इसके एकदम उलट हो गयी है। उन्होंने कहा, "अब मीडिया और आम जन मानस में कथावाचकों, उपदेशकों और प्रवचनकारों को भी संत कहा जा रहा है। हर किसी के लिये संत शब्द का इस्तेमाल हमारे मुताबिक उचित नहीं है। चूंकि आम हिन्दुओं की आस्था भगवा कपड़ों से जुड़ी है। इसलिये आजकल कई गृहस्थ कथावाचक भी भगवा कपड़े पहनकर खुद को संत घोषित कर देते हैं"। गिरि ने कहा, "यह समाज को चुनना है कि वह धर्म-अध्यात्म क्षेत्र में किन लोगों को अपना मार्गदर्शक माने, लेकिन जो लोग संतत्व और गृहस्थी दोनों का एक साथ आनंद ले रहे हैं, वे अंतत: अधोगति को प्राप्त होंगे"।
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उन्होंने यह सलाह भी दी कि भय्यूजी महाराज की आत्महत्या के बाद उनके परिवार को आपस में विवाद नहीं करना चाहिये, वरना आध्यात्मिक गुरु के हजारों अनुयायियों की आस्था को चोट पहुंचेगी। गौरतलब है कि भय्यूजी महाराज (50) ने अपने बंगले में 12 जून को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। अधिकारियों के मुताबिक पुलिस की शुरूआती जांच में सामने आया है कि भय्यूजी महाराज कथित पारिवारिक कलह से परेशान थे। हालांकि, पुलिस अन्य पहलुओं पर भी विस्तृत जांच कर पता लगाने में जुटी है कि हजारों लोगों की उलझनें सुलझाने का दावा करने वाले आध्यात्मिक गुरु को आत्महत्या का गंभीर कदम आखिर क्यों उठाना पड़ा।
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