वायु गुणवत्ता आयोग ने पराली जलाने की घटनाओं के आकलन के लिए प्रोटोकॉल अपनाने को कहा

By भाषा | Published: August 22, 2021 03:40 PM2021-08-22T15:40:49+5:302021-08-22T15:40:49+5:30

air quality commission asked to adopt protocol for assessment of stubble burning incidents | वायु गुणवत्ता आयोग ने पराली जलाने की घटनाओं के आकलन के लिए प्रोटोकॉल अपनाने को कहा

वायु गुणवत्ता आयोग ने पराली जलाने की घटनाओं के आकलन के लिए प्रोटोकॉल अपनाने को कहा

फसल कटाई के मौसम के पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली और इसके पड़ोसी राज्यों से कहा है कि वे उपग्रह डेटा का उपयोग करके पराली जलाने की घटनाओं के आकलन के लिए इसरो द्वारा विकसित एक मानक प्रोटोकॉल को अपनाना और लागू करना सुनिश्चित करें। आयोग के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए योजनाओं को तैयार करने और लागू करने का अधिकार है। आयोग ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान को प्रोटोकॉल के आधार पर पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार हितधारक एजेंसियों से विचार-विमर्श कर समयबद्ध तरीके से व्यापक कार्य योजना विकसित करने के लिए कहा है। आयोग ने पिछले साल दिसंबर में हुई एक बैठक में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ चर्चा में आग की घटनाओं की निगरानी के लिए एनसीआर तथा आसपास के इलाकों में एक मानक कार्यप्रणाली विकसित करने और लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया था। यह प्रोटोकॉल राज्य रिमोट सेंसिंग सेंटर और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान जैसी हितधारक एजेंसियों के साथ परामर्श से तैयार किया गया है। निर्देश में कहा गया है, ‘‘पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण की अनिवार्य आवश्यकता को देखते हुए आयोग दिल्ली सरकार को उपग्रह डेटा का उपयोग करके फसल अवशेष में आग लगाने की घटनाओं के आकलन के लिए मानक प्रोटोकॉल को अपनाने और लागू करने का निर्देश देता है।’’ आयोग ने कहा कि प्रोटोकॉल को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा दिल्ली में समान रूप से अपनाया जाना चाहिए, न कि केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित रहना चाहिए। आयोग ने इन राज्यों को 30 अगस्त तक प्रोटोकॉल लागू करने पर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं। धान की कटाई के बाद गेहूं और आलू के लिए खेत को कम समय में तैयार करने के वास्ते किसान पराली को जला देते हैं। यह दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण में खतरनाक वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक है।

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Web Title: air quality commission asked to adopt protocol for assessment of stubble burning incidents

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