वायु प्रदूषण प्रबंधन : एनसीएपी के तहत दिल्ली को मिलेगा ‘हरित’ कोष
By भाषा | Updated: October 3, 2021 13:48 IST2021-10-03T13:48:20+5:302021-10-03T13:48:20+5:30

वायु प्रदूषण प्रबंधन : एनसीएपी के तहत दिल्ली को मिलेगा ‘हरित’ कोष
(गौरव सैनी)
नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर राष्ट्रीय राजधानी को वायु प्रदूषण प्रबंधन में महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए इस साल राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत 18 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिलेगी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यह पहली बार है जब दिल्ली को एनसीएपी के तहत कोष दिया जाएगा। एनसीएपी, 2024 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 की सांद्रता में 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत की कमी लाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है जिसके लिए आधार वर्ष 2017 रखा गया है।
‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में एक अधिकारी ने बताया, ‘‘दिल्ली को एनसीएपी के तहत 18.74 करोड़ रुपये मिलेंगे। 2019 में शुरू होने के बाद से यह पहली बार है जब इस कार्यक्रम के तहत दिल्ली को धन प्राप्त होगा।’’ एनसीएपी उन 132 शहरों को कवर करता है, जो निर्धारित राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को पूरा नहीं करते हैं।
इन शहरों की पहचान राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम के तहत 2011-2015 की अवधि के दौरान प्राप्त परिवेशी वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर की गई है। पीएम 10 और पीएम 2.5 के लिए स्वीकार्य वार्षिक मानक क्रमश: 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी को दो साल के लिए एनसीएपी के तहत कोई धन नहीं मिला क्योंकि उसके पास अन्य संसाधन के रूप में 2000 सीसी से ऊपर के डीजल वाहनों पर लगाया जाने वाला हरित उपकर, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा किया जाता है और दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहन पर लगने वाला प्रदूषण कर, उपलब्ध थे।’’
इस बार एनसीएपी के तहत कोष की उपलब्धता में सुधार हुआ है। अधिकारी ने बताया, ‘‘वित्त आयोग से 50 शहरों को पहले से ही प्रदूषण प्रबंधन के लिए अच्छी रकम मिल रही है। इसलिए एनसीएपी के तहत शेष 82 शहरों के लिए धन की उपलब्धता में सुधार हुआ है। इसलिए हमने दिल्ली को भी कुछ कोष देने का फैसला किया है।’’ इन 82 शहरों के लिए इस साल कुल 290 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं।
अधिकारी ने बताया कि जहां कहीं भी अन्य संसाधनों से उपलब्ध धन अपर्याप्त होगा, इन्हीं महत्वपूर्ण कमियों को पूरा करने के लिए एनसीएपी के कोष का उपयोग किया जाएगा। शेष धनराशि योजनाओं की प्रगति के माध्यम से जुटाई जानी है।
निर्माण और तोड़-फोड़ से निकले कचरे के प्रबंधन जैसी बड़ी परियोजनाओं के लिए स्वच्छ भारत शहरी कार्यक्रम और केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं के तहत धन आवंटित किया जाता है। दिल्ली सरकार ने राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ‘‘शीतकालीन कार्य योजना’’ तैयार की है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जल्द ही इसकी घोषणा करने की उम्मीद है।
यह योजना 10 प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित है, जिसमें पराली जलाना, प्रदूषण हॉटस्पॉट, स्मॉग टॉवर का काम करना और वाहनों और धूल का प्रदूषण शामिल हैं। दिल्ली सरकार ने पहले ही एक जनवरी, 2022 तक पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाये जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।
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