लेह में एलएसी पर वायुसेना करेगी न्योमा हवाई पट्टी का विकास, चीन ने जताई आपत्ति
By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 28, 2022 04:47 PM2022-10-28T16:47:48+5:302022-10-28T16:54:55+5:30
भारतीय वायुसेना द्वारा लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे व न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को बेहतर बनाये जाने के प्रयासों का चीन की सेना विरोध कर रही है।
जम्मू: भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे व न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए और भी बेहतर बना रही है। भारतीय वायुसेना की इस तैयारी से चीन की लाल सेना बेहद चिढ़ गई है। उसने भारतीय क्षेत्र में भारतीय वायुसेना द्वारा किये जा रहे इस कार्य पर आपत्ति जाहिर की है। जानकारी के अनुसार इस समय पूर्वी लद्दाख में अपाचे अटैक हेलीकाप्टरों के साथ चिनूक, गरुड़ व एमआई हेलीकाप्टर दुश्मन पर कहर बरपाने के लिए तैयार हैं।
इस संबंध में वायुसेना के अधिकारियों का कहना है कि न्योमा इलाके में वायुसेना के लिए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बहुत महत्व रखता है। एलएसी के पास होने के कारण यह सामरिक रणनीतिक का अहम हिस्सा है। इससे लेह से एलएसी तक पहुंचने की दूरी कम हो जाती है। एलएसी तक साजो-सामान व सैनिक पहुंचाना चंद मिनटों का काम हो जाएगा।
लद्दाख में 646 किमी लंबी सीमा पर चीन की ओर से लगातार बढ़ रहे सैन्य दबाव के बीच भारत ने वर्ष 2008 की 31 मई को लद्दाख क्षेत्र में एलएसी से महज 23 किलोमीटर दूर अपनी एक और हवाई पट्टी खोली थी। इससे पहले वर्ष 2009 में मई तथा नवम्बर महीने में उसने दो अन्य हवाई पट्टियों को खोल कर चीन को चिढ़ाया जरूर था। चीन द्वारा अपनी ओर से नए सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की खबरों के बीच भारत जल्द ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी से 50 किलोमीटर से भी कम दूरी पर लड़ाकू विमान संचालन के लिए अपने न्योमा उन्नत लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करने के लिए निर्माण कार्य शुरू करने जा रहा है।
चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान न्योमा हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल जवानों और सामग्री के परिवहन के लिए किया गया है और चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकाप्टरों और सी-130जे स्पेशल आप्रेशंस विमानों का संचालन भी किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकरारियों का कहना था कि एएलजी को जल्द ही लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए अपग्रेड किया जा रहा है क्योंकि अधिकांश आवश्यक मंजूरी और अनुमोदन पहले ही आ चुके हैं।
इस योजना के अनुसार नए हवाई क्षेत्र और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाएगा,। इस क्षेत्र से लड़ाकू विमानों के संचालन की क्षमता से वायु सेना की विरोधियों द्वारा किसी भी दुस्साहस से तेजी से निपटने की क्षमता मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी के बाद पूर्वी लद्दाख सेक्टर में निर्माण कार्य का उद्घाटन जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।
भारत पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा सहित कई विकल्पों पर विचार कर रहा है, जो चीन के साथ एलएसी से कुछ ही मिनटों की दूरी पर हैं। न्योमा एएलजी से अपाचे हमले के हेलीकाप्टरों, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकाप्टरों और एमआई -17 हेलीकाप्टरों से गरुड़ स्पेशल फोर्स का संचालन भी किया जा रहा है। दरअसल एलएसी के निकट होने के कारण न्योमा एएलजी का सामरिक महत्व है। यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है, जिससे पूर्वी लद्दाख में जवानों और सामग्री की त्वरित आवाजाही को सक्षम बनाता है, जिससे इलाके की कठिनाईयों को पार किया जासके।
वायु सेना ने किसी भी प्रतिकूल विमान द्वारा किसी भी हवाई घुसपैठ से निपटने के लिए न्योमा समेत अन्य हवाई पट्टियों पर इग्ला मैन-पोर्टेबल वायु रक्षा मिसाइलों को भी तैनात किया है। भारतीय वायु सेना नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख में अभियानों को अंजाम देने के लिए राफेल और मिग -29 सहित लड़ाकू विमानों को तैनात कर रही है, जहां कई स्थानों पर दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के तहत सैनिकों को हटाया जा रहा है।