एम्स की पहल: आंखों की रोशनी और अंगों के ट्रांसपोटेशन के लिए अब ड्रोन कॉरिडोर
By एसके गुप्ता | Published: September 11, 2019 07:52 AM2019-09-11T07:52:34+5:302019-09-11T07:52:34+5:30
ड्रोन कॉरिडोर योजना सफल होने पर कॉर्निया के अलावा अन्य अंग भी ड्रोन की मदद से लाए जा सकेंगे.
मौत के बाद नेत्रदान करने वाले लोगों का कॉर्निया समय से ट्रांसप्लांट के लिए पहुंचे और खराब न हो, इसके लिए एम्स ड्रोन कॉरिडोर योजना पर काम कर रहा है.
एम्स के वरिष्ठ प्रोफेसर, आई सर्जन एवं नेशनल आई बैंक के चीफ डॉ. जी. एस. टिटियाल ने 'लोकमत समाचार' से कहा कि योजना के तहत एम्स 20 से 25 किमी के दायरे में आनेवाले अस्पतालों से ड्रोन का इस्तेमाल कर कॉर्निया एम्स लाया जाएगा.
आमतौर पर अंगों के ट्रांसपोटेशन के लिए हवाई जहाज और सड़क पर ग्रीन कॉरिडोर की मदद ली जाती है.
उन्होंने कहा कि कॉर्निया का आकार 11 से 12 एमएम तक यानी काफी छोटा होता है. ऐसे में ड्रोन इसे आसानी से ले जा सकते हैं. इसके तहत जिन सेंटर पर आई बैंक नहीं है वहां से भी कॉर्निया एम्स लाया जा सकेगा.
ड्रोन से आई बैंकों या अस्पतालों तक कॉर्निया पहुंचने में कम समय और कम खर्च आएगा.
डॉ. टिटियाल ने कहा कि देश में 760 आई बैंक हैं. हर वर्ष एक लाख कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत है और अभी 50000 आंखों में से महज 26000 कॉर्निया ही ट्रांसप्लांट होते हैं.
डॉ. टिटियाल ने कहा कि अक्सर दुर्घटना में मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम में काफी समय लगता है. इस कारण मृतक का कॉर्निया खराब हो जाता है.
ऐसे आया आइडिया
डॉ. टिटियाल ने कहा कि आर्मी एरिया में ड्रोन की मदद से सामान पहुंचाया जाता है. ऐसे में विचार आया कि आंखों का कॉर्निया क्यों नहीं ड्रोन से एम्स लाया जा सकता. इस पर आईआईटी दिल्ली से बात की और योजना को अंजाम देने के लिए काम शुरू किया गया है. योजना सफल होने पर कॉर्निया के अलावा अन्य अंग भी ड्रोन की मदद से लाए जा सकेंगे.