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कृषि कानून काफी समय से लंबित थे, एमएसपी प्रणाली जारी रहेगी : प्रधानमंत्री मोदी

By भाषा | Updated: December 18, 2020 19:29 IST

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भोपाल, 18 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून रातों-रात नहीं लाए गये हैं, बल्कि राजनीतिक दल, कृषि विशेषज्ञ और यहां तक कि किसान भी लंबे समय से इनकी मांग कर रहे थे। कांग्रेस व अन्य दलों पर इन कानूनों के प्रति किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने साफ किया कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली पर सरकार पूरी तरह से गंभीर है और यह व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने ऑनलाइन सभा के जरिये रायसेन और मध्यप्रदेश के अन्य जिलों के किसानों को संबोधित करते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर एमएसपी और एपीएमसी (कृषि मंडी) के मुद्दे पर किसानों को बरगलाने और भ्रम में डालने का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लंबे समय से ऐसे कृषि सुधारों की वकालत की जा रही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब वे (विपक्षी दल) इनका विरोध कर रहे थे क्योंकि वे नहीं चाहते कि सुधारों का श्रेय मोदी को मिले।’’

दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 23 दिन से जारी प्रदर्शन के बीच मोदी ने कहा कि सरकार किसानों के साथ बात करने के लिये 24 घंटे तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘‘नए कृषि कानून रातों-रात नहीं आये हैं बल्कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 20-22 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकारों ने इन कृषि सुधारों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया है। किसान संगठन, कृषि वैज्ञानिक और किसान भी लगातार इसकी मांग कर रहे थे।’’

विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोगों को उन दलों और नेताओं से जवाब मांगना चाहिये जिन्होंने वोटों के लिये अपने घोषणापत्र में इन सुधारों के बारे में बात तो की लेकिन इन्हें कभी लागू नहीं किया, क्योंकि यह उनकी प्राथमिकता में नहीं था।

उन्होंने विपक्षी दलों की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘सभी लोगों के घोषणा पत्र देखे जायें, उनके बयान सुने जायें, पहले जो देश की व्यवस्था संभाल रहे थे। आज के कृषि सुधार उनसे अलग नहीं हैं। वो जो वादा करते थे, वही बातें इस कृषि सुधार में की गयी हैं। मुझे लगता है, उनको पीड़ा इस बात की है कि जो काम वो कहते थे लेकिन वो नहीं कर पाये और मोदी ने ये कैसे किया। मोदी को श्रेय क्यों मिले। तो मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं, आपके घोषणा पत्र को श्रेय दीजिये। मुझे श्रेय नहीं चाहिये। मुझे किसानों के जीवन में आसानी और समृद्धि चाहिये। आप कृपा करके किसानों को बरगलाना और भ्रमित करना छोड़ दीजिये।’’

मोदी ने कहा कि नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) की व्यवस्था जारी रहेगी।

उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ये कानून लागू किये छह-सात माह का समय हो गया है लेकिन अब अचानक भ्रम का जाल फैलाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने के खेल खेले जा रहे हैं और किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किये जा रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि हम बार-बार पूछ रहे हैं कि नए कृषि कानूनों में दिक्कत क्या है लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यही इन दलों की सच्चाई है, जिनकी खुद की राजनीतिक जमीन खिसक गयी है वो किसानों की जमीन चले जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीतिक जमीन खोज रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब इन्हें सरकार चलाने का मौका मिला था तब इन लोगों ने क्या किया यह देश को याद रखना जरुरी है। मोदी ने कहा, ‘‘आज देशवासियों, किसानों के सामने इन लोगों का कच्चा चिट्ठा खोलना चाहता हूं।’’

उन्होंने कहा कि किसानों के नाम पर झूठे आंसू बहाने वाले ये लोग कितने निर्दयी हैं इसका एक उदाहरण स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट है जिसे ये आठ साल तक दबा कर बैठे थे।

मोदी ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘किसान इसके लिए आंदोलन कर रहे थे, लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला। इन्होंने (विपक्ष) अपनी राजनीति बढ़ाने के लिये समय-समय पर किसानों का इस्तेमाल किया है।’’

उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति हमारी संवेदनशील सरकार उन्हें अन्नदाता मानती है, ‘‘हमने फाइलों की ढेर में फेंक दी गयी स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू किया और लागत का डेढ़ गुना एमएसपी किसानों को दिया।’’

मोदी ने किसान कर्ज माफी के वादे को कांग्रेस का बड़ा धोखा बताते हुए कहा, ‘‘दो साल पहले विपक्षी दल ने मध्य प्रदेश में दस दिन में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था लेकिन प्रदेश के किसान मुझसे बेहतर जानते हैं कि हकीकत में कितने किसानों को लाभ मिला।’’

उन्होंने राजस्थान में सत्तारुढ़ कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि प्रदेश के किसान अभी भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं।

एमएसपी हटा दिये जाने की किसानों की आशंका पर प्रधानमंत्री ने साफ किया, ‘‘हमारी सरकार एमएसपी को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार बुवाई से पहले ही फसलों के लिए इसकी घोषणा कर देती है। इससे किसान को सुविधा होती है। छह माह से जयादा का समय हो गया ये कानून लागू किये। इसके बाद भी वैसे ही एमएसपी की घेाषणा की गयी, जैसे पहले की जाती थी। कोरोना महामारी के बाद भी उपज खरीदी गयी। उन्ही मंडियों में खरीद हुई। क्या कोई समझदार इस बात को स्वीकार करेगा की एमएसपी बंद हो जायेगी। इससे बड़ा कोई झूठ, षड्यंत्र नहीं हो सकता। मैं देश के हर किसान को विश्वास दिलाता हूं, एसएसपी जैसे पहले दी जाती थी, वह दी जायेगी, न बंद होगी, न समाप्त होगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) के बारे में भी झूठ फैला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 70 साल से सरकार किसानों को यह जरुर बताती रही कि आप सिर्फ इसी मंडी में अपनी उपज बेच सकते हो। नई जगह पर उपज नहीं बेची जा सकती।

मोदी ने कहा कि इस नये कानून में सिर्फ इतना किया गया है कि अगर उसे मंडी में बेचना है तो वहां बेचे और यदि बाहर दाम ज्यादा मिले तो वहां भी बेच सकता है। नये कानून के तहत किसान ने अपने लाभ को देखकर अपनी उपज बेचना शुरु कर दिया है।

मोदी ने कहा, ‘‘पिछले छह महीने में एक भी मंडी बंद नहीं हुई। दरअसल, सरकार मंडियों के आधुनिकीकरण पर 500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।’’

निजी संस्थाओं और किसानों के बीच अनुबंधों पर नए कानून का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के समझौते पहले भी मौजूद थे ।

मोदी ने कहा, ‘‘नया कानून इस तरह के समझौतों को निजी संस्थाओं पर अधिक बाध्यकारी बनाता है और वे किसान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से भाग नहीं सकते भले ही उन्हें नुकसान उठाना पड़े।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 25 दिसंबर को फिर से किसानों को संबोधित करेंगे।

किसान सम्मेलन को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश के 35.50 लाख किसानों को 1,600 करोड़ रुपये की राहत राशि की पहली किस्त का हस्तांतरण भी किया।

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