जामा मस्जिद के बाद कुतुब मीनार भी विवादों के घेरे में, एएसआई के पूर्व अधिकारी ने कहा, 'यह वेधशाला है, जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 18, 2022 08:49 PM2022-05-18T20:49:45+5:302022-05-18T20:57:59+5:30

एएसआई के पूर्व फील्ड डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने दावा किया है कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतबुद्दीन ऐबक और उसके दामाद इल्तुतमिश ने नहीं बल्कि पांचवीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य ने कराया था।

After Jama Masjid Qutub Minar also in controversy, former ASI officer said, 'This is the observatory, which was built by King Vikramaditya' | जामा मस्जिद के बाद कुतुब मीनार भी विवादों के घेरे में, एएसआई के पूर्व अधिकारी ने कहा, 'यह वेधशाला है, जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था'

जामा मस्जिद के बाद कुतुब मीनार भी विवादों के घेरे में, एएसआई के पूर्व अधिकारी ने कहा, 'यह वेधशाला है, जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था'

Highlightsएएसआई के पूर्व अधिकारी का दावा, कुतुब मीनार दरअसल एक वेधशाला है इस वेधशाला का निर्माण पांचवीं शताब्दी में राजा राजा विक्रमादित्य ने कराया था कुतुब मीनार के निर्माण से कुतबुद्दीन ऐबक और उसके दामाद इल्तुतमिश का कोई लेनादेना नहीं है

दिल्ली: देश में अभी तक तो मुगल काल में बनी मस्जिदें ही विवाद के केंद्र में थी लेकिन आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के एक पूर्व अधिकारी ने सल्तनत काल में बनी दिल्ली के मेहरौली स्थित कुतुब मीनार के बारे में ऐसा दावा किया, जिसके कारण अब उस पर भी ग्रह के बादल घिरते नजर आ रहे हैं।

एएसआई के पूर्व फील्ड डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने दावा किया है कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतबुद्दीन ऐबक और उसके दामाद इल्तुतमिश ने नहीं बल्कि पांचवीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य ने कराया था। जबकि इतिहासकारों के मुताबिक कुतुब मीनार का निर्माण साल 1192 में हुआ है और यह परिसर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित है।

अपने दावे को कथिततौर पर प्रामाणिक बताते हुए धर्मवीर शर्मा ने कहना है कि राजा विक्रमादित्य ने कुतुब मीनार का निर्माण इसलिए कराया था क्योंकि इस मीनार पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों के जरिये उसकी बदलती हुई दिशा को देख सकें।

कुतुब मीनार का कई बार सर्वे कर चुके धर्मवीर शर्मा ने दावे के पक्ष में दलील देते हुए कहा, ''यह कुतुब मीनार नहीं है, बल्कि सन टावर (वेधशाला) है। इसका निर्माण 5वीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य ने कराया था। इस सन टावर का कुतबउद्दीन ऐबक से कोई लेनादेना नहीं है। मेरे पास इसको लेकर काफी बहुत सबूत है।''

धर्मवीर शर्मा ने कहा, ''कुतुब मीनार नींव से 25 इंच झुकी हुई है क्योंकि इसका निर्माण ही इस तरह किया गया है कि इससे सूर्य की चाल का अध्ययन किया जा सके।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुतुब मीनार का स्ट्रक्चर जिस तरीके का है, उसका आर्किटेक्चर मस्जिद के नक्शे से मेल नहीं खाता है।

मालूम हो कि एएसआई के पूर्व फील्ड डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा का यह दावा ऐसे समय में आया है, जब पूरे देश में मुगलकालीन मस्जिदों और उसमें भी खासकर औरंजगेब के काल में निर्मित हुई मस्जिदों पर तगड़ा विवाद चल रहा है।

मुगलकालीन मस्जिदों पर विवाद की स्थिति अयोध्या से शुरू हुई थी, जो काशी के ज्ञानवापी मस्जिद से मथुरा के ईदगाह मस्जिद से होते हुए फिलहाल दिल्ली के जामा मस्जिद तक जा पहुंची है।

इस बीच एएसआई के पूर्व फील्ड डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा के इस दावे के कारण भी कुतुब मीनार को लेकर भी हलचल तेज होने की उम्मीद है।

इस विवाद से पहले वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया गया था, जिसमें हिंदू पक्ष द्वारा मस्जिद के वजूखाने में 'शिवलिंग' मिलने का दावा किया जा रहा है।

मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जिस जगह पर शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है, उस क्षेत्र को सील कर दिया जाए और बाकि परिसर में मुसलमानों को नमाज अदा करने की पूरी छूट है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की थी। बेंच ने सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष से कहा कि वाराणसी कोर्ट में दायर किया गया मामला मालिकाना हक का नहीं है बल्कि उसमें तो श्रृंगार गौरी की पूजा करने की मांग की गई है।

वहीं मु्स्लिम पक्ष वाराणसी कोर्ट के सर्वे के आदेश को 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' का उलंघन मानते हुए कड़ी आपत्ति जता रहा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 19 मई को अगली सुनवाई करेगा।  

Web Title: After Jama Masjid Qutub Minar also in controversy, former ASI officer said, 'This is the observatory, which was built by King Vikramaditya'

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