BJP में अमित शाह की विरासत संभालने के बाद नड्डा की होगी अग्नि परीक्षा, 2023 तक बिहार, बंगाल समेत आधे दर्जन राज्यों में होगा चुनाव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 20, 2020 03:21 PM2020-01-20T15:21:50+5:302020-01-20T15:22:16+5:30
अगले तीन साल में जेपी नड्डा को बिहार, बंगाल समेत देश के आधे दर्जन राज्यों में चुनाव के माध्यम से अग्नि परीक्षा पास करनी होगी। अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी जिस तरह से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
जेपी नड्डा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। अमित शाह की विरासत को संभालने के बाद जेपी नड्डा के सामने चुनौतियां का अंबार है। अगले तीन साल में जेपी नड्डा को बिहार, बंगाल समेत देश के आधे दर्जन राज्यों में चुनाव के माध्यम से अग्नि परीक्षा पास करनी होगी। अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी जिस तरह से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
उस प्रदर्शन को बनाए रखने की जिम्मेदारी अब नड्डा के कंधे पर होगी। हलांकि, जेपी नड्डा ने कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर आठ महीने पार्टी की कमान संभाली, लेकिन अपने सियासी प्रैक्टिस मैच में वो फेल रहे हैं।
दरअसल, नड्डा के अध्यक्ष बनने के बाद बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व पूर्वोत्तर के राज्यों समेत देश के करीब आधे दर्जन राज्यों में चुनाव होने हैं। एक तरह से देखा जाए तो दिल्ली का रास्ता इन्हीं राज्यों से होकर तय होता है। ऐसे में इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी अब नड्डा के कंधे पर ही होगी। इसके साथ कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नड्डा को अपनी बनी बनाई छवि को भी बेहतर करना है।
बीजेपी अध्यक्ष की कमान मिलने के बाद जेपी नड्डा की पहली अग्निपरीक्षा दिल्ली विधानसभा चुनाव में होनी है। बीजेपी पिछले 21 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है। ऐसे में जेपी नड्डा के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को दिल्ली की सत्ता में वापसी कराने की है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने राज्य स्तर के सीएम कैंडिडेट उतारने के बजाय इस बार बीजेपी ने केंद्रीय नेतृत्व के सहारे चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। ऐसे में दिल्ली की सियासी जंग जीतने की जिम्मेदारी पूरी तरह से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर है।
बता दें कि जेपी नड्डा मूल रुप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। लेकिन, इनका जन्म वर्तमान झारखंड व उस समय के बिहार राज्य में 2 दिसंबर 1960 को हुआ। दरअसल, रांची में नड्डा के पिता प्रोफेसर थे और उस समय रांची बिहार का हिस्सा था। यही वजह था कि इनका झारखंड के साथ ही बिहार से भी गहरा जुड़ाव था। नड्डा ने अपनी राजनीति की शुरुआत पटना यूनिवर्सिटी से 1970 के दशक में की थीं। यह वही दौर था जब देश में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दिया था। इसके बाद नड्डा ने 1975 में जेपी आंदोलन में भी भाग लिया।
इसके बाद जगत प्रकाश नड्डा बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। 1977 में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और सचिव बने थे।1993 में हिमाचल प्रदेश में ही नड्डा विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। जेपी नड्डा 2012 में पहली बार राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। इसके बाद एक तरह से देखा जाए तो राष्ट्रीय राजनीति में उनकी एंट्री हो गई थीं। नरेंद्र मोदी सरकार बनी तो वह इस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी बने।