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AFSPA:असम में छह महीने बढ़ाई गई, मिजोरम ने कहा- असम राइफल्स के अधिकारी भूल जाते हैं कि यहां अफस्पा लागू नहीं है

By भाषा | Updated: August 26, 2020 17:30 IST

यह कानून सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना पूर्व नोटिस दिये कहीं भी किसी को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है। असम में यह कानून नवंबर 1990 से लागू है। इसे हर छह महीने में बढ़ा दिया जाता है।

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ठळक मुद्देकई नागरिक समाज समूह और कार्यकर्ता राज्य से इस कठोर कानून को हटाने की मांग कर रहे हैं।उग्रवादी हमलों और विभिन्न हिस्सों से अवैध हथियार और विस्फोटक बरामद होने के कारण ''अशांत क्षेत्र'' घोषित किया गया है।भूल जाते हैं कि इस पूर्वोत्तर राज्य में अब ‘सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम’ (अफ्स्पा) प्रभाव में नहीं है।

गुवाहाटी/आइजोलः असम सरकार ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (अफस्पा) की अवधि छह महीने के लिये बढ़ा दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि असम को हाल ही में पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों पर हुए उग्रवादी हमलों और विभिन्न हिस्सों से अवैध हथियार और विस्फोटक बरामद होने के कारण ''अशांत क्षेत्र'' घोषित किया गया है।

कई नागरिक समाज समूह और कार्यकर्ता राज्य से इस कठोर कानून को हटाने की मांग कर रहे हैं। यह कानून सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना पूर्व नोटिस दिये कहीं भी किसी को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है। असम में यह कानून नवंबर 1990 से लागू है। इसे हर छह महीने में बढ़ा दिया जाता है।

मिजोरम सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि असम राइफल्स के लोग असैन्य प्रशासन के साथ अवमानना पूर्ण व्यवहार करते हैं और वे भूल जाते हैं कि इस पूर्वोत्तर राज्य में अब ‘सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम’ (अफ्स्पा) प्रभाव में नहीं है। राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव रामदीन लियानी ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मुख्य सचिव लालनुनमाविया चुआउंगो ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को दो पत्र लिखकर असम राइफल्स द्वारा स्वतंत्रता दिवस समारोहों का ‘बहिष्कार’ करने तथा सुरक्षा प्रोटोकॉलों के कथित उल्लंघन के बारे में जानकारी दी है।

एक पत्र में कहा गया, ‘‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि असम राइफल्स और राज्य प्रशासन के बीच कोई मुद्दा इतना गंभीर नहीं है कि इसे खुले दिमाग से बातचीत के जरिये नहीं सुलझाया जा सके।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘असम राइफल्स को याद नहीं है कि मिजोरम शांतिपूर्ण राज्य है जहां अफ्स्पा कानून लंबे समय पहले वापस ले लिया गया है और असैन्य प्रशासन से बर्ताव में उनकी संवेदनहीनता तथा अवमानना असम राइफल्स और असैन्य प्रशासन के बीच अच्छे रिश्तों तथा सहयोग के रास्ते में आड़े आ रही हैं।’’

मिजोरम सरकार ने आरोप लगाया कि असम राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रशासन द्वारा 11 अगस्त को एक ‘वरीयता क्रम’(डब्लयूओपी) जारी किये जाने के बाद राज्यस्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोहों में भाग नहीं लिया। इस डब्ल्यूओपी में मिजोरम में पदस्थ असम राइफल्स के ब्रिगेडियर को राज्य सरकार के सचिव, मुख्य वन संरक्षक और सत्र न्यायाधीश तथा उपायुक्तों के समकक्ष रखा गया था। पत्र में कहा गया कि असम राइफल्स ने निमंत्रण लौटाते हुए कहा कि वह खिन्न है क्योंकि बिना उसके साथ परामर्श किये डब्ल्यूओपी जारी किया गया।

दूसरे पत्र में कहा गया कि मिजोरम में असम राइफल्स के प्रमुख का निजी अहम और उनका यह नहीं मानना कि पूरा पूर्वोत्तर ‘अशांत क्षेत्र’ नहीं है, असम राइफल्स और राज्य सरकार की एजेंसियों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्तों में आड़े आता लग रहा है। गृह मंत्री लालचमलियाना ने सोमवार को सेक्टर 23 असम राइफल्स के डीआईजी, ब्रिगेडियर विनोद एस से इस मामले पर बातचीत की थी। 

टॅग्स :असममिजोरमगृह मंत्रालय
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