हिमालयी क्षेत्र में मौसमी घटनाओं की निगरानी, पूर्वानुमान के लिये अतिरिक्त रडार स्थापित होंगे

By भाषा | Updated: November 14, 2021 13:21 IST2021-11-14T13:21:13+5:302021-11-14T13:21:13+5:30

Additional radars to be installed for forecasting, monitoring of weather events in the Himalayan region | हिमालयी क्षेत्र में मौसमी घटनाओं की निगरानी, पूर्वानुमान के लिये अतिरिक्त रडार स्थापित होंगे

हिमालयी क्षेत्र में मौसमी घटनाओं की निगरानी, पूर्वानुमान के लिये अतिरिक्त रडार स्थापित होंगे

नयी दिल्ली, 14 नवंबर हिमालयी क्षेत्र में मौसम से जुड़ी घटनाओं की निगरानी एवं सटीक पूर्वानुमान जारी करने के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अतिरिक्त रडारों को स्थापित करने की योजना बनाई है जिसके तहत हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में डॉप्लर मौसम रडार स्थापित करने के लिये कार्य किया गया है।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया कि हिमाचल प्रदेश में दो डॉप्लर मौसम रडार की स्थापना के लिये दो स्थलों को चिन्हित किया गया है जिसके लिये राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त किया जा रहा है ।

उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में डॉप्लर मौसम रडार की स्थापना की परियोजना दिसंबर 2022 तक पूरा होने की संभावना है।

अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड के सुरकंडा देवी में रडार टॉवर के संबंध में एक्स बैंड डॉप्लर मौसम रडार की स्थापना का कार्य चल रहा है ।

उन्होंने बताया कि राज्य में एक और एक्स बैंड डॉप्लर मौसम रडार की स्थापना के लिये लैंसडाउन में एक स्थल की पहचान कर ली गई है तथा दिसंबर 2022 तक इन डॉप्लर मौसम रडारों की स्थापना होने की संभावना है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में अभी जम्मू कश्मीर में सोनमर्ग और श्रीनगर, हिमाचल प्रदेश में कुफरी, उत्तराखंड में मुक्तेश्वर में डॉप्लर मौसम रडार स्थापित है। इसके अलावा असम में मोहनबाड़ी, मेघालय में सोहरा, त्रिपुरा के अगरतला में डॉप्लर मौसम रडार है।

मंत्रालय ने मौसमी परिस्थितियों, भूस्खलन, ग्लेशियर के टूटने जैसी स्थितियों के पूर्वानुमान के अलावा ऊर्जा उत्पादन, परिवहन बाधा, कृषि प्रभावोत्पादकता, आपूर्ति श्रृंखला प्रभाव आदि के आकलन के लिये ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग’ पद्धति के उपयोग की योजना बनाई है ।

योजना के प्रस्ताव प्रपत्र में कहा गया है कि पिछले छह दशकों में वायुमंडल में काफी बदलाव आया है। उच्च क्षमता वाली कम्प्यूटर आधारित गणना ने वैज्ञानिकों को और अधिक वास्तविक पृथ्वी विज्ञान प्रणाली आधारित माडल सृजित करने में मदद की ।

इसमें कहा गया है कि अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग पद्धति के माध्यम से न केवल मौसम परिस्थितियों, भूस्खलन, ग्लेशियर के टूटने जैसी स्थितियों का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा बल्कि ऊर्जा उत्पादन, परिवहन बाधा, कृषि प्रभावोत्पादकता, आपूर्ति श्रृंखला प्रभाव आदि के बारे में सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी ।

इससे आंधी, तूफान, बिजली कड़कने, धूल भरी आंधी, चक्रवात का बेहतर आकलन करके कम समय में जानकारी मुहैया करायी जा सकेगी जिससे जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके।

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Web Title: Additional radars to be installed for forecasting, monitoring of weather events in the Himalayan region

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