अडानी-हिंडनबर्ग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विशेषज्ञ समिति पर केंद्र का सुझाव सीलबंद लिफाफे में स्वीकार नहीं

By मनाली रस्तोगी | Published: February 17, 2023 05:47 PM2023-02-17T17:47:10+5:302023-02-17T17:54:04+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद हाल में अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट के मद्देनजर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत बनाने की खातिर विशेषज्ञों की समिति पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

Adani-Hindenburg row Supreme Court refuses to accept Centre's suggestion on Committee | अडानी-हिंडनबर्ग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विशेषज्ञ समिति पर केंद्र का सुझाव सीलबंद लिफाफे में स्वीकार नहीं

(फाइल फोटो)

Highlightsसुनवाई की शुरुआत में विधि अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सीलबंद लिफाफे में समिति के सदस्यों के नाम और दायरे पर एक नोट दिया है।पीठ के समक्ष शेयर बाजार के निवेशकों को हुए नुकसान का जिक्र किया गया।विधि अधिकारी ने कहा कि उन्हें किसी न्यायाधीश द्वारा समिति की निगरानी पर कोई आपत्ति नहीं है।

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद हाल में अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट के मद्देनजर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत बनाने की खातिर विशेषज्ञों की समिति पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह "निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए पूर्ण पारदर्शिता" बनाए रखना चाहती है और वह सीलबंद लिफाफे में केंद्र सरकार के सुझाव को स्वीकार नहीं करेगी। 

पीठ ने कहा, "हम सीलबंद लिफाफे में आपके सुझावों को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं।" इसके साथ ही, पीठ ने किसी मौजूदा न्यायाधीश से प्रस्तावित समिति के कामकाज की निगरानी की संभावना से भी इनकार किया। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और जनहित याचिकाकर्ताओं की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद कहा, "हम इसे आदेश के लिए बंद कर रहे हैं।" सुनवाई की शुरुआत में विधि अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सीलबंद लिफाफे में समिति के सदस्यों के नाम और दायरे पर एक नोट दिया है। 

उन्होंने कहा, "इसे दो इरादों को ध्यान में रखकर दिया गया है। पहला- एक समग्र दृष्टिकोण लिया जाना है ताकि सच्चाई सामने आए। दूसरा- शेयर बाजार पर प्रभाव डालने वाला कोई अनपेक्षित संदेश बाहर नहीं जाए क्योंकि यह धारणाओं पर आधारित बाजार है।" पीठ के समक्ष शेयर बाजार के निवेशकों को हुए नुकसान का जिक्र किया गया। विधि अधिकारी ने कहा कि उन्हें किसी न्यायाधीश द्वारा समिति की निगरानी पर कोई आपत्ति नहीं है। 

पीठ ने कहा, "हम सीलबंद लिफाफे में सुझावों को स्वीकार नहीं करेंगे। हम पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं। यदि हम सीलबंद लिफाफे में आपके सुझाव लेते हैं, तो इसका स्वतः मतलब है कि दूसरे पक्ष को कोई जानकारी नहीं होगी।" पीठ ने यह भी कहा, "हम निवेशकों की सुरक्षा के लिए पूर्ण पारदर्शिता चाहते हैं। हम एक समिति बनाएंगे। अदालत के प्रति भरोसे की भावना होगी।" 

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "(सुप्रीम कोर्ट) के मौजूदा न्यायाधीश मामले की सुनवाई कर सकते हैं और वे समिति का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता को देखते हुए संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र से नियामक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर विचार करने को कहा था। 

वकील एम एल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने अब तक सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ कई आरोप लगाए जाने के बाद, समूह के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। हालांकि, समूह ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।

(भाषा इनपुट के साथ)

Web Title: Adani-Hindenburg row Supreme Court refuses to accept Centre's suggestion on Committee

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