ABVP ने रामचंद्र गुहा को बताया राष्ट्र विरोधी, अहमदाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाने से किया इनकार
By रामदीप मिश्रा | Published: November 2, 2018 04:04 PM2018-11-02T16:04:08+5:302018-11-02T16:04:08+5:30
रामचंद्र गुहा ने एयू में न पढ़ाने का कारण वहां की स्थिति अपने नियंत्रण से बाहर बताई है और कहा है कि बायोग्राफी लिखने वाला गांधी के शहर में गांधी पर शिक्षा नहीं दे सकता है।
प्रसिध्द इतिहासकार और जीवनी लेखक रामचंद्र गुहा ने गुजरात के अहमदाबाद विश्वविद्यालय (एयू) में पढ़ाने से इनकार कर दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने ट्विटर के जरिए दी। साथ ही साथ उन्होंने एयू में न पढ़ाने का कारण वहां की स्थिति अपने नियंत्रण से बाहर बताई है और कहा है कि बायोग्राफी लिखने वाला गांधी के शहर में गांधी पर शिक्षा नहीं दे सकता है।
गुहा ने ट्वीट करते हुए कहा, 'मेरे नियंत्रण से परे परिस्थितियां होने के कारण मैं अहमदाबाद विश्वविद्यालय को ज्वाइन नहीं कर पाऊंगा। मैं चाहता हूं कि एयू अच्छा रहे। उसके (एयू) पास अच्छी फेकल्टी और बेहतरीन कुलपति हैं। और गांधीजी की भावना एक दिन अपने मूल गुजरात में एक बार फिर से जिंदा हो सकती है।'
Due to circumstances beyond my control, I shall not be joining Ahmedabad University. I wish AU well; it has fine faculty and an outstanding Vice Chancellor. And may the spirit of Gandhi one day come alive once more in his native Gujarat.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) November 1, 2018
आपको बता दें, 16 अक्टूबर को एयू ने रामचंद्र गुहा को मानविकी के श्रेनिक लालभाई चेयर प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेस में गांधी विंटर स्कूल का निदेशक नियुक्त किया था। उन्हें नियुक्त किए जाने के बाद 19 अक्टूबर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने इस के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था।
इसकी पुष्टि करते हुए, अहमदाबाद शहर के एबीवीपी के सचिव प्रवीण देसाई ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'हमने एयू रजिस्ट्रार बीएम शाह के समक्ष अपनी बात उठाई है। हमने कहा कि हम अपने शैक्षिक संस्थानों में बुद्धिजीवी लोगों को चाहते हैं, लेकिन राष्ट्र विरोधियों को नहीं। जिन्हें, 'शहरी नक्सल' भी कहा जा सकता है।
उन्होंने आगे बताया, 'हमने उनकी (गुहा) किताब से राष्ट्रविरोधी चीजें भी रजिस्ट्रार को सौंपी थीं। हमने उन्हें कहा कि आप जिस व्यक्ति को बुला रहे हैं वो कम्युनिस्ट है। अगर गुहा को गुजरात में बुलाया जाता है, तो जेएनयू की तरह यहां भी राष्ट्रविरोधी भावनाएं पनपेंगी'
एबीवीपी द्वारा कुलपति को सौंपे गए ज्ञापन में गुहा की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि गुहा का कार्य 'भारत की हिंदू संस्कृति की आलोचना' करता है।