कश्मीरः बढ़ती गोलाबारी के बीच एलओसी पर निजी बंकरों की मांग बढ़ी, लोगों को सड़क, बिजली, पानी नहीं बस बंकर चाहिए...

By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 17, 2020 04:43 PM2020-11-17T16:43:41+5:302020-11-17T16:45:01+5:30

लाखों परिवारों को भोजन, सड़क, बिजली और पानी से अधिक जरूरत उन भूमिगत बंकरों की है जिनमें छुप कर वे उस समय अपनी जान बचाना चाहते हैं जब पाकिस्तानी सैनिक नागरिक ठिकानों को निशाना बना गोलों की बरसात करते हैं।

aaj ka taja samachar jammu Kashmir Demand private bunkers LoC firepower people not just road electricity water  | कश्मीरः बढ़ती गोलाबारी के बीच एलओसी पर निजी बंकरों की मांग बढ़ी, लोगों को सड़क, बिजली, पानी नहीं बस बंकर चाहिए...

अगले माह तक 38 बंकर लोगों को सौंपे जाएंगे। इसके साथ ही उड़ी सेक्टर में ग्रामीणों के लिए बंकरों की तादाद भी 58 हो जाएगी। (file photo)

Highlights1999 में करगिल युद्ध के बाद से तो भूमिगत बंकर सीमांत नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं।गोलों की गूंज शांत होते ही स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक बंकरों का निर्माण कार्य तेज हो गया है। प्रशासन ने उड़ी में 250 निजी बंकरों का एक प्रस्ताव भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है।

जम्मूः सीजफायर के बावजूद एलओसी पर गरजते पाक तोपखानों ने सीमावासियों को मजबूर किया है कि वे निजी बंकरों को तैयार करें। गोलाबारी से होने वाली लगातार मौतों के चलते अधिक से अधिक बंकरों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

यही नहीं यह है तो हैरान करने वाली बात पर पूरी तरह से सच है कि पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी अर्थात लाइन आफ कंट्रोल से सटे गांवों में रहने वाले लाखों परिवारों को भोजन, सड़क, बिजली और पानी से अधिक जरूरत उन भूमिगत बंकरों की है जिनमें छुप कर वे उस समय अपनी जान बचाना चाहते हैं जब पाकिस्तानी सैनिक नागरिक ठिकानों को निशाना बना गोलों की बरसात करते हैं। जानकारी के लिए 1999 में करगिल युद्ध के बाद से तो भूमिगत बंकर सीमांत नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं।

उड़ी सेक्टर में गत शुक्रवार को पाकिस्तानी सेना द्वारा दागे गए गोलों की गूंज शांत होते ही स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक बंकरों का निर्माण कार्य तेज हो गया है। यह बंकर गोलाबारी के समय लोगों की जान बचाने के लिए एक सुरक्षित ठिकाने के रुप में काम आएंगे। अगले माह तक 38 बंकर लोगों को सौंपे जाएंगे। इसके साथ ही उड़ी सेक्टर में ग्रामीणों के लिए बंकरों की तादाद भी 58 हो जाएगी। प्रशासन ने उड़ी में 250 निजी बंकरों का एक प्रस्ताव भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है।

दरअसल पाक सेना की ओर से गोलाबारी के बाद एलओसी के इलाकों में घर छोड़ने के लिये मजबूर होने वाले लोगों ने अब सरकार से अपने घरों पर व्यक्तिगत बंकर बनाये जाने की मांग की है। पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली भारी गोलाबारी की वजह से एलओसी के गांवों से लोगों का पलायन अब आम बात हो गई है।

अधिकारियों का कहना था कि पाक सैनिक कभी भी दोबारा जंग बंदी तोड़ सकते हैं, इसलिए हमने ग्रामीणों की किसी भी आपात स्थिति में मदद की एक कार्य योजना तैयार की है। इसके अलावा एलओसी के साथ सटी अग्रिम नागरिक बस्तियों में सामुदायिक बंकरों का निर्माण तेज किया गया है। जिले में हमारे पास पहले ही 20 सामुदायिक बंकर हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 44 नए बंकरों का मंजूर किया है।

पुंछ के जनगढ़ निवासी प्रशोतम कुमार ने कहा कि हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण मांग यह है कि अगर हमें एलओसी पर रहना है तो सरकार को सीमा पर बसे प्रत्येक घर में बंकर बनाना चाहिए। यह एलओसी पर रहने वाले लोगों की सबसे अहम मांग है। सीमा शरणार्थी समन्वय समिति के अध्यक्ष कुमार ने अपनी मांग से कई बार केंद्र सरकार को अवगत कराया और कहा कि हमें भोजन से ज्यादा बंकर की जरूरत है।

यह हमारे और हमारे परिवार के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट की तरह है। सीमावर्ती गांव कलसियां के सरपंच बहादुर चौधरी ने कहा कि अगर सभी निवासियों को उनके घरों पर बंकर मिलते हैं तो कोई भी एलओसी पर बसे गांवों को नहीं छोड़ेगा चाहे पाकिस्तान कितनी भारी गोलाबारी क्यों ना करें।

अधिकारियों का कहना था कि बारामुल्ला में अगले माह बंकर पूरी तरह से तैयार कर जनता को सौंप दिए जाएंगे। छह अन्य बंकरों के लिए भी निविदाएं जारी की गई हैं, लेकिन इनमें ठेकेदारों ने कोई रूची नहीं ली है। यह सभी बंकर ऊंचे पहाड़ी इलाकों में बनाए जा रहे हैं। इन इलाकों में सड़क भी नहीं है। निर्माण सामग्री को पहुंचाना बहुत मुश्किल और महंगा है। हमने इन सभी दिक्कतों का संज्ञान लेते हुए उनके समाधान के लिए संबधित प्रशासन को आग्रह किया है।

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