कोविड-19: एलजी अनिल बैजल ने दी मंजूरी, शादी में शामिल होंगे केवल 50 लोग, लॉकडाउन नहीं
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 18, 2020 02:00 PM2020-11-18T14:00:57+5:302020-11-18T19:50:33+5:30
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उप राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के शादी में 200 की बजाय केवल 50 लोगों के शामिल होने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार का लॉकडाउन लगाने का कोई इरादा नहीं है।
नई दिल्लीः दिल्ली में कोरोना केस लगातार बढ़ रहा है। देश की राजधानी में कोविड का वायरस फैल रहै है। हर रोज 10000 से अधिक मामले आ रहे हैं। मरने वाले की संख्या में बढ़ोतरी जारी है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उप राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के शादी में 200 की बजाय केवल 50 लोगों के शामिल होने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार का लॉकडाउन लगाने का कोई इरादा नहीं है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय राजधानी में शादी समारोह में केवल 50 लोगों को शिरकत करने की अनुमति देने के आप सरकार के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार ने शहर में 200 लोगों के शादी में शामिल होने देने के अपने आदेश को वापस लेने का फैसला किया है और इस संबंध में उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजा है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि अगले कुछ दिनों में दिल्ली सरकार 663 आईसीयू बेड जोड़ेगी। संक्रमण के मामलों में भारी बढ़ोतरी के बावजूद चिकित्साकर्मी कोविड-19 की वजह से उत्पन्न स्थिति से अच्छी तरह से निपट रहे हैं। दिल्ली NCR में COVID19 की स्थिति पर चर्चा करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल सुबह 11बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई।
Lt Gov has given approval. This was essential as larger the crowd at a place, the more harmful it is. Lockdown won't be imposed but people have to be stopped from gathering in large numbers: Delhi Deputy CM Manish Sisodia on capping number of attendees at weddings in Delhi to 50 https://t.co/Q7P4DHDx58pic.twitter.com/wEX7GwleNi
— ANI (@ANI) November 18, 2020
दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी
उपराज्यपाल ने शादी समारोह में केवल 50 लोगों को शामिल होने की अनुमति देने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केजरीवाल ने मंगलवार को कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या में कमी आने की वजह से केन्द्र के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पूर्व में विवाह समारोहों में 200 तक की संख्या में लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई थी।
केजरीवाल ने कहा था, ‘‘अब उपराज्यपाल बैजल को पूर्व के आदेश को वापस लेने की मंजूरी देने और विवाह समारोहों में अतिथियों की संख्या को 200 की जगह 50 करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है।’’ दिल्ली में 28 अक्टूबर के बाद से कोरोना वायरस के मामलों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई, जब पांच हजार से अधिक नए मामले सामने आए थे। 11 नवम्बर को यहां आठ हजार से अधिक नए मामले सामने आए थे।
लॉकडाउन कोरोना से लड़ने का उपाय नहीं है। इससे लड़ने का एकमात्र उपाय मेडिकल मैनेजमेंट है। अभी दिल्ली में 26000 लोग होम आइसोलेशन में हैं। हमारे पास 16000 बेड हैं जिनमें से 50% बेड खाली हैं। सिसोदिया कह रहे हैं कि दिल्ली में 90 फीसदी आईसीयू बेड भरे हुए हैं। आईसीएमआर, दिल्ली सरकार नवम्बर अंत तक अपनी आरटी-पीसीआर जांच की क्षमता बढ़कार 60,000 करेगी। अभी प्रतिदिन 10,000जांच की जाती है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि शकूर बस्ती स्टेशन पर मौजूद डिब्बों में 800 बेड की व्यवस्था रेलवे कर रहा है। डीआरडीओ दिल्ली हवाई अड्डे के पास अपने कोविड अस्पताल में अगले 3-4 दिनों में 250 अतिरिक्त आईसीयू बेड की व्यवस्था करेगा, 34 बीआईपीएपी बेड लगाएगा। कोविड-19 ड्यूटी के लिए अर्धसैनिक बलों के कुल 45 डॉक्टर, 160 पारा चिकित्सक दिल्ली पहुंचे गए हैं।
कोविड-19 के मद्देनजर सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा की मंजूरी देने से अदालत ने किया इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के मद्देनजर दिल्ली सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थलों तालाबों, नदी तटों और अन्य स्थलों पर छठ पूजा के आयोजन पर लगाए गए प्रतिबंध में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएम) के अध्यक्ष द्वारा जारी प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
डीडीएमए ने अपने आदेश में कहा था कि 20 नवंबर को छठ पूजा के लिए सार्वजनिक स्थलों पर कोई भीड़ जुटने की अनुमति नहीं होगी। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद वाली एक पीठ ने कहा कि पूजा के लिए लोगों को जमा होने की अनुमति देने से संक्रमण का प्रसार हो सकता है। यह कहते हुए पीठ ने याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि मौजूदा समय में इस तरह की याचिका जमीनी सच्चाई से परे है।