अफगानिस्तान से 99 कमांडो और तीन खोजी कुत्ते वतन लौटे
By भाषा | Published: August 17, 2021 10:13 PM2021-08-17T22:13:28+5:302021-08-17T22:13:28+5:30
तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से आईटीबीपी के 99 कमांडों की एक टुकड़ी तीन खोजी कुत्तों के साथ एक सैन्य विमान से वापस वतन आ गई है। उनका विमान मंगलवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा। अधिकारियों ने बताया कि कमांडो अपने सभी निजी हथियार एवं सामान भी वापस लेकर आए हैं और वे दिल्ली में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक केंद्र में कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत हफ्तेभर तक पृथक-वास में रहेंगे। आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया, “इसके साथ ही काबुल में दूतावास, अफगानिस्तान में भारत के चार वाणिज्य दूतावास और राजनयिकों की सुरक्षा के लिए तैनात हमारी पूरी टुकड़ी वापस आ गई है। कमांडो, दूतावास के कर्मचारियों और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ वापस आए हैं।” हिंडन में उतरने के बाद आईटीबीपी टुकड़ी के कमांडर रविकांत गौतम ने कहा, ‘‘ यह चुनौतीपूर्ण अभियान था, क्योंकि हम एक ऐसे देश से अपने लोगों को निकाल रहे थे, जहां सैन्यबलों की तैनाती नहीं है। भारत ने प्रयासों में बड़ा अच्छा तालमेल रखा एवं हमारे कमांडों ने जमीनी स्तर पर बहुत अच्छा काम किया।’’ उन्होंने कहा कि उनके जवान पिछले तीन-चार दिनों से सोये नहीं हैं और आखिरकार आज रात वे गहरी नींद लेंगे। कमांडो को आईटीबीपी की बसों में हिंडन एयर बेस से पृथकवास केंद्र ले जाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कमांडो अपने साथ एके सीरीज के हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट, संचार उपकरण, गोला-बारूद और तीन खोजी कुत्ते भी साथ लाए हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन सहित तीस राजनयिक, आईटीबीपी के 99 कमांडो और 21 नागरिक वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान में सवार थे। उनके मुताबिक, विमान ने काबुल में हामिद करज़ई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से आज सुबह उड़ान भरी थी और जामनगर एयरबेस पर कुछ देर रुका और फिर यहां नजदीक में गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर उड़ान उतरा। उन्होंने कहा कि 21 नागरिकों में चार पत्रकार शामिल हैं। जामनगर में एक आईटीबीपी अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति ‘ बहुत खतरनाक है, जिसे बयां नहीं किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि काफिलों, दूतावास परिसरों एवं भारतीय राजनयिकों पर हमले की आशंका एवं खतरे थे लेकिन आईटीबीपी ‘उन्हें सुरक्षित ले आई।’’ आईटीपीबी ने अफगानिस्तान में सुरक्षा ड्यूटी पर 300 से अधिक कमांडो को तैनात किया था।बल को पहली बार नवंबर, 2002 में काबुल दूतावास परिसर, राजनयिकों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।बाद में उसने अपनी अतिरिक्त टुकड़ियों को जलालाबाद, कंधार, मजार-ए-शरीफ और हेरात में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावासों की रक्षा के लिए भेजा।अफगानिस्तान में मौजूदा संकट के कारण वाणिज्य दूतावासों को हाल में बंद किए जाने के बाद से टुकड़ियों को पहले ही वापस ले लिया गया है। इन्हें बंद करने की एक वजह यह भी थी कि कोरोना वायरस महामारी के कारण वहां लोगों की आमद कम हो गई थी। आईटीबीपी को 2005-08 के बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा पूर्ण किए गए देलाराम-जरंज सड़क परियोजना की हिफाज़त के लिए भी तैनात किया गया था। विभिन्न आतंकवादी हमलों में आईटीबीपी के कई कमांडो की मौत भी हुई है और उनमें से कई को वीरता पदकों से अलंकृत किया गया।
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