गुजरात के कच्छ में मिला 5000 साल पुराना मानव कंकाल, पुरातत्व विभाग दो महीने से कर रहा था खुदाई
By नियति शर्मा | Published: March 12, 2019 07:01 PM2019-03-12T19:01:35+5:302019-03-12T19:01:35+5:30
पुरातत्ववेत्ता ने बताया कि खुदाई के दौरान 300 वर्ग मीटर के कब्रिस्तान में करीब 250 कब्रें मिली हैं, इन 250 कब्रों में से अब तक 26 कब्रों की खुदाई हो चुकी है।
गुजरात के कच्छ जिले के धौलावीरा में हड़प्पा संस्कृति से जुड़े हुए कब्रिस्तान मिले हैं। करीब दो महीने की इस खुदाई के बाद पुरातत्व विभाग को 250 से ज्यादा कब्रें मिली हैं और यह सभी कब्रे 5000 साल पुरानी बताई जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यहां पर बड़ी संख्या में मानव आबादी रहा करती थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पुरातत्ववेत्ता ने बताया कि खुदाई के दौरान 300 वर्ग मीटर के कब्रिस्तान में करीब 250 कब्रें मिली हैं, इन 250 कब्रों में से अब तक 26 कब्रों की खुदाई हो चुकी है। इस खुदाई में एक कब्र से करीब छह फीट लंबा मानव कंकाल मिला है जो लगभग 5000 साल पुराना है।
कच्छ विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के प्रमुख सुरेश भंडारी ने बताया कि अब तक के इतिहास में पहली बार गुजरात में आयताकार कब्रें मिली हैं। इससे पहले कब्रिस्तान में गोलाकार या अर्द्धगोलाकार आकार की कब्रें मौजूद थीं। यहां मिली सभी कब्रें 4,600-5,200 साल पुरानी हैं। भंडारी ने आगे बताया कि इन सभी कंकालों को केरल विश्वविद्यालय भेजा गया है, जहां इनकी उम्र, लिंग और मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा।
यह खुदाई कच्छ विश्वविद्यालय और केरल विश्वविद्यालय ने मिलकर कच्छ जिले के लखपत तालुका के खाटिया गांव में की है। इस खुदाई में सबसे बड़ी कब्र लगभग 6.9 मीटर और सबसे छोटी 2.1 मीटर की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कब्रों में मानव कंकाल के साथ बच्चों की भी कब्रें हैं। साथ ही साथ जानवरों के अवशेष भी मिले हैं। खुदाई में सीपी के बने कंगन, ग्राइडिंग स्टोन और पत्थर की ब्लेड भी मिली हैं। इन सभी अवशेषों का गंभीरता से परीक्षण किया जाएगा ताकि इस समुदाय के कार्यों और रिवाजों को समझा जा सके।
बताया गया है कि कब्रों में मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं। एक कब्र में सबसे ज्यादा 19 और सबसे कम 3 बर्तन शव के पैरों के पास रखे मिले हैं। पुरातत्ववेत्ता ने बताया कि ऐसे बर्तन पाकिस्तान के आमरी, नाल और कोट से भी बरामद हुए थे। भारत के उत्तरी गुजरात में ये नागवाडा, छतराद सहेली, मोटी पीपली और कच्छ में सुरकोतड़ा और धानेती से मिले थे।
भंडारी ने बताया की खुदाई में मिले बर्तन और पत्थरों के ढेर का जीओ- केमिकल जांच होगी, जिससे पता चलेगा कि तब के लोगों ने इसे कैसे और किन चीजों से बनाया है।