नोटबंदी के बाद पिछले 2 साल में 50 लाख लोगों को गंवानी पड़ी अपनी नौकरी: रिपोर्ट
By विनीत कुमार | Published: April 17, 2019 11:17 AM2019-04-17T11:17:17+5:302019-04-17T11:17:17+5:30
रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल रूप से 2011 के बाद से ही बेरोजगारी लगातार बढ़ती रही है। खासकर कम शिक्षित लोगों ने अपने रोजगार गंवाए हैं।
नोटबंदी के बाद नवंबर-2016 से लेकर पिछले दो सालों में 50 लाख लोग अपनी नौकरी गंवा बैठे। एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बेंगलुरु के अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट की 'स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया-2019' की मंगलवार को रिलीज की गई रिपोर्ट के अनुसार नौकरी में तेजी से गिरावट के समय की शुरुआत नोटबंदी लागू होने के समय से मिलती है।
हालांकि, नौकरी गंवाने का सीधा रिश्ता नोटबंदी से है या नहीं, इस आंकड़े से इस बारे में कोई तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। महिलाओं के मामले में पिछले दो सालों में नौकरी गंवाने के मामले कहीं अधिक हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 'यह गिरावट नोटबंदी के कारण हुआ या नहीं, लेकिन यह चिंता का विषय जरूर है और तत्काल नीतियों पर विचार की जरूर है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल रूप से 2011 के बाद से ही बेरोजगारी लगातार बढ़ती रही है। खासकर कम शिक्षित लोगों ने अपने रोजगार गंवाए हैं और उनके लिए काम के मौके कम हुए। बेरोजगारी पर 'स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया-2019' की रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक बेरोजगारी 20-24 साल की उम्र के ग्रुप में है। युवाओं के लिए रोजगार कम होने की स्थिति शहरी पुरुष और महिलाओं सहित ग्रामीण लड़कों और लड़कियों में भी है।
बता दें कि इसी साल की शुरुआत में लीक हुई सरकार की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि 2017-18 में देश का बेरोजगारी दर 45 सालों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।