नागरिकता कानून: दिल्ली में दो जगह हुई हिंसा, 5 दिन में छोड़े गए 450 आंसू गैस के गोले
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 19, 2019 09:16 AM2019-12-19T09:16:59+5:302019-12-19T09:19:48+5:30
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जून से 4 अगस्त के बीच, हांगकांग पुलिस ने कम से कम 1,000 राउंड आंसू गैस के गोले दागे।
नागरिकता कानून के लागू होने के बाद से ही दिल्ली में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पिछले पांच दिनों में जामिया नगर और सीलमपुर में हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं। इस दौरान पुलिस को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आंसू गैस के गोले दागने के अलावा लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। ये प्रदर्शन निर्भया मामले (दिसंबर 2012) के बाद हाल के दिनों में बड़े प्रदर्शनों में से एक है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जामिया नगर और सीलमपुर में विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पांच दिनों में कम से कम 450 आंसू गैस के गोले दागे गए। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि निर्भया मामले के बाद 22 दिसंबर 2012 को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 180 आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे। दिल्ली पुलिस द्वारा जुटाए गए आरंभिक आंकड़ों के अनुसार दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस ने रविवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर या उसके आस-पास कम से कम 200 गोले दागे थे। प्रदर्शनकारियों ने इलाके में पांच बसों को आग लगा दी। झड़पों में 15 पुलिस कर्मियों सहित 200 से अधिक लोग घायल हो गए।
सीलमपुर में मंगलवार को जहां प्रदर्शनकारियों ने 20 वाहनों में तोड़फोड़ की और पुलिस पिकेट में आग लगा दी, वहीं 247 आंसू गैस के गोले दागे गए। जामिया परिसर के बाहर शुक्रवार को कम से कम 15 गोले दागे गए। ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजे जाने वाली रिपोर्ट का हिस्सा है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा ने बताया, 'पुलिस के पास आंसू गैस को चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कुछ अनियंत्रित प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और सार्वजनिक वाहनों को आग लगा दी। वे पुलिस और जनता पर भी पथराव कर रहे थे। दोनों स्थानों पर विरोध बड़े क्षेत्र में फैल गया था। जामिया नगर में विश्वविद्यालय परिसर से आश्रम के पास मथुरा रोड, फ्रेंड्स कॉलोनी और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में सूर्या होटल तक विरोध फैल गया। आंसू गैस का उपयोग करना सबसे अच्छा विकल्प था। यह गैर घातक और सुरक्षित है।'
जामिया परिसर में नए पुस्तकालय भवन के सोमवार को उपयोग में लाए गए आंसू गैस के गोले देखे गए। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जून से 4 अगस्त के बीच, हांगकांग पुलिस ने कम से कम 1,000 राउंड आंसू गैस के गोले दागे। आंसू गैस आंखों, गले, नाक में जलन का कारण बनता है और आमतौर पर देश भर के पुलिस बलों द्वारा विरोध प्रदर्शन भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उपयोग किया जाता है। रविवार के विरोध में घायल हुए कई प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ छात्रों ने भी पुलिस की कार्रवाई की तीव्र आलोचना की। अपने बचाव में पुलिस ने कहा कि कई अनियंत्रित प्रदर्शनकारी, जो छात्र नहीं थे, विरोध में शामिल हो गए और विश्वविद्यालय परिसर के अंदर छिप गए थे।
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि अगर सही तरीके से तैनाती की जाए तो आंसू गैस का इस्तेमाल करना गलत नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर गोले 45 डिग्री के कोण से निकाल दिया जाता है, तो यह प्रदर्शनकारियों को दूर करने का सबसे प्रभावी और गैर-घातक रूप है। सबसे ज्यादा लोगों को आंखों में जलन होती है। लेकिन अगर इसे सामने से दागा जाता है तो यह घातक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि आंसू गैस के गोले की वजह से छात्रों के शरीर पर चोटों की रिपोर्ट चिंता का विषय है क्योंकि इससे यह इंगित होगा कि गोले को ठीक से नहीं दागा गया था।'
सुरक्षा बलों द्वारा अपनाई गई तय मानक प्रक्रिया के अनुसार, वे पहले एक चेतावनी जारी करते हैं, उसके बाद प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर नहीं करने पर वाटर कैनन का उपयोग करते हैं। पुलिस को आंसू गैस के उपयोग का आदेश देने से पहले एक और चेतावनी जारी करनी होती है। यदि आंसू गैस प्रभावी नहीं है, तो पुलिस लाठीचार्ज का सहारा लेती है। यदि यह अप्रभावी साबित होता है, तो रबर की गोलियों का उपयोग और उसके बाद गोली चलाने पड़ता है।