32 सप्ताह की गर्भवती महिला को भ्रूण में गंभीर विसंगति, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-महिला को यह तय करने का अधिकार है कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 23, 2023 02:44 PM2023-01-23T14:44:56+5:302023-01-23T14:45:43+5:30

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की खंडपीठ ने 20 जनवरी के अपने आदेश में चिकित्सकीय बोर्ड की इस राय को मानने से इनकार कर दिया कि भले ही भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं, लेकिन गर्भपात नहीं कराया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में गर्भावस्था का अंतिम चरण है।

32 weeks pregnant woman found serious fetal abnormality Bombay High Court said woman has right decide whether she wants continue pregnancy or not | 32 सप्ताह की गर्भवती महिला को भ्रूण में गंभीर विसंगति, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-महिला को यह तय करने का अधिकार है कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं...

भ्रूण में गंभीर विसंगतियों के मद्देनजर गर्भधारण की अवधि मायने नहीं रखती।

Highlightsआदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। सोनोग्राफी के बाद पता चला था कि भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं।भ्रूण में गंभीर विसंगतियों के मद्देनजर गर्भधारण की अवधि मायने नहीं रखती।

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने 32 सप्ताह की गर्भवती एक महिला को भ्रूण में गंभीर विसंगतियों का पता लगने के बाद गर्भपात की अनुमति देते हुए कहा है कि महिला को यह तय करने का अधिकार है कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं।

 

 

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की खंडपीठ ने 20 जनवरी के अपने आदेश में चिकित्सकीय बोर्ड की इस राय को मानने से इनकार कर दिया कि भले ही भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं, लेकिन गर्भपात नहीं कराया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में गर्भावस्था का अंतिम चरण है।

आदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। सोनोग्राफी के बाद पता चला था कि भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं और शिशु शारीरिक एवं मानसिक अक्षमताओं के साथ पैदा होगा, जिसके बाद महिला ने अपना गर्भपात कराने के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘भ्रूण में गंभीर विसंगतियों के मद्देनजर गर्भधारण की अवधि मायने नहीं रखती।

याचिकाकर्ता ने सोच-समझकर फैसला किया है। यह आसान निर्णय नहीं है, लेकिन यह फैसला उसका (याचिकाकर्ता का), केवल उसका है। यह चयन करने का अधिकार केवल याचिकाकर्ता को है। यह चिकित्सकीय बोर्ड का अधिकार नहीं है।’’

अदालत ने कहा कि केवल देर हो जाने के आधार पर गर्भपात की अनुमति देने से इनकार करना न केवल होने वाले शिशु के लिए कष्टकारी होगा, बल्कि उस भावी मां के लिए भी कष्टदायक होगा, और इसकी वजह से कारण मातृत्व का हर सकारात्मक पहलू छिन जाएगा। अदालत ने कहा, ‘‘कानून को बिना सोचे समझे लागू करने के लिए ‘‘ महिला के अधिकारों से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि चिकित्सकीय बोर्ड ने दंपति की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर गौर नहीं किया। उसने कहा, ‘‘बोर्ड वास्तव में केवल एक चीज करता है: क्योंकि देर हो गई, इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह गलत है, जैसा कि हमने पाया है।’’ पीठ ने यह भी कहा कि भ्रूण में विसंगतियों और उनके स्तर का पता भी बाद में चला। 

Web Title: 32 weeks pregnant woman found serious fetal abnormality Bombay High Court said woman has right decide whether she wants continue pregnancy or not

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