मोदी सरकार ने छह साल में पाकिस्तान के 2830 और अफगानिस्तान के 912 लोगों को दी नागरिकता

By भाषा | Updated: December 19, 2019 14:17 IST2019-12-19T14:17:49+5:302019-12-19T14:17:49+5:30

CAA Protest: कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि यह अधिनियम नागरिकता देने में मजहब को आधार बनाता है। अधिकारी ने कहा कि इन पड़ोसी देशों में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है और अगर वे कानून में दी गई पात्रता को पूरा करते हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।

2830 people of Pakistan and 912 people of Afghanistan were given citizenship of India in six years by modi govt | मोदी सरकार ने छह साल में पाकिस्तान के 2830 और अफगानिस्तान के 912 लोगों को दी नागरिकता

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Highlightsपाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के करीब चार हजार लोगों को बीते छह साल में भारत की नागरिकता दी गई है।सीएए में तीन देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। 

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के करीब चार हजार लोगों को बीते छह साल में भारत की नागरिकता दी गई है, जिसमें सैंकड़ों मुस्लिम भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह जानकारी ऐसे में समय में सामने आई है, जब देश के अलग अलग हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। इस कानून में इन तीन देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। 

अधिकारी ने बताया कि पिछले छह साल में, 2,830 पाकिस्तानियों, 912 अफगानिस्तानियों और 172 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है। इन में सैंकड़ों मुस्लिम लोग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रवासियों को पात्रता की शर्तों को पूरा करने पर आगे भी भारतीय नागरिकता दी जाएगी। अधिकारी ने कहा कि सीएए दूसरे देशों से ताल्लुक रखने वाले किसी भी धार्मिक समुदाय को निशाना नहीं बनाता है।
 
कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि यह अधिनियम नागरिकता देने में मजहब को आधार बनाता है। अधिकारी ने कहा कि इन पड़ोसी देशों में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है और अगर वे कानून में दी गई पात्रता को पूरा करते हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि चार हजार लोगों के अलावा, 50 से ज्यादा बांग्लादेशी क्षेत्रों को भारत में मिलाने के बाद 14,864 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है। इन क्षेत्रों को 2014 में दोनों देशों के बीच हुए सीमा समझौते के बाद भारत में शामिल किया गया था। 

सीएए के मुताबिक, 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्य भारत आ गए हैं और उनके साथ धर्म की वजह से वहां पर अत्याचार हुआ है, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं समझा जाएगा और भारत की नागरिकता दी जाएगी। इस महीने के शुरू में अधिनियम को संसद की मंजूरी मिल गई थी। 

भारत सरकार 2015-2016 में नियमों में बदलाव करके दिसंबर 2014 तक इन तीन पड़ोसी देशों के छह अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के भारत में प्रवेश करने और यहां रहने को पहले ही वैध कर चुकी है। भारत सरकार ने ऐसे प्रवासियों को भारत में लंबे वक्त तक निवास करने के लिए लंबी अवधि का वीजा (एलटीवी) देने का पात्र बना दिया है। 

अगर वे शर्तों को पूरा करते हैं तो अब सीएए उनको भारत की नागरिकता लेने में सक्षम बनाता है।। यानी अगर वे 31 दिसंबर 2014 से पहले इन तीन देशों से भारत में आ गए हों। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अलग अलग मौकों पर भारत सरकार ने भागकर भारत आए भारतीय मूल के विदेशियों के निवास एवं नागरिकता संबंधी चिंताओं का ध्यान रखने के लिए पहले भी विशेष प्रावधान किए हैं। 

उदाहरण के तौर पर, भारत के संविधान का अनुच्छेद छह कहता है कि जो शख्स 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आ गया है, उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा। दूसरे, अगर वह 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आता है तो उसे भारत में छह महीने रहने के बाद भारतीय नागरिक के तौर पर दर्ज किया जाएगा। 

इसी तरह से 1964 और 1974 में भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बाद 1964 से 2008 के दौरान 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई है। फिलहाल, 95,000 श्रीलंकाई शरणार्थी तमिलनाडु में रह रहे हैं। 

साल 1962-78 के बीच बर्मा में रहने वाले भारतीय मूल के दो लाख से ज्यादा लोग भागकर यहां आ गए क्योंकि वहां पर कई कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। वे भारत के अलग अलग हिस्सों में बसे हुए हैं। साल 2004 में, केंद्र सरकार ने गुजरात और राजस्थान के छह कलेक्टरों को नागरिकता देने संबंधी अधिकार सौंप दिए थे।

Web Title: 2830 people of Pakistan and 912 people of Afghanistan were given citizenship of India in six years by modi govt

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