कश्मीर: जानवरों के हमले से पिछले 16 सालों में 241 लोगों की गई है जान, 3 हजार से अधिक लोग हुए है घायल
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 6, 2023 05:41 PM2023-01-06T17:41:55+5:302023-01-06T17:54:30+5:30
आपको बता दें कि उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2006 से वर्ष 2022 के अंत तक, कश्मीर में 241 व्यक्ति मारे गए हैं और 2,946 व्यक्ति मानव-पशु संघर्ष में घायल हुए हैं। जबकि जम्मू संभाग में इन 16 सालों में 6 लोगों की मौत हुई पर वर्ष 2020 से पहले तक यह आंकड़ा नगण्य ही था।
जम्मू: प्रदेश में इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष से पूरा जम्मू कश्मीर जूझ रहा है। हालांकि कश्मीर में इसका प्रभाव अधिक है जिसके अलग अलग कारण हैं पर जम्मू संभाग भी इससे अछूता नहीं रहा है। वाइल्ड लाइफ विभाग द्वारा दिए जाने वाले आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।
कश्मीर में ज्यादा लोगों की गई है जान
संघर्ष की घटनाएं कितनी बढ़ चुकी हैं पिछले 16 सालों के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि इस अरसे में जानवरों ने बस्तियों में घुस कर अगर कश्मीर में 241 की जान ले ली तो जम्मू संभाग में 6 की मौत हो गई। जबकि कश्मीर में 3000 से अधिक को जख्मी कर दिया तो 40 लोग जम्मू संभाग में भी जख्मी हुए हैं। दोनों ही संभागों में घायलों में से कई अपंग हो चुके हैं जबकि कई अभी भी जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
छोटे बच्चे व बुजुर्ग ही बन रहे है अकसर शिकार
अगर कश्मीर में सबसे ज्यादा मानव-जानवर का संघर्ष हिमालयी काले भालू और तेंदुओं के साथ है तो जम्मू में तेंदुओं से ज्यादा सामना हो रहा है जो अब तो जम्मू शहर में भी कई बार घुस आ रहे हैं। इतना जरूर था कि दोनों ही संभागों में इस संघर्ष के अधिकतर शिकार छोटे बच्चे व बुजुर्ग ही हो रहे हैं।
अधिकारियों ने आंकड़ा सांझा करते हुए बताया कि यह संघर्ष अब दिनों दिन तेजी पकड़ता जा रहा है क्योंकि मानव द्वारा बस्तियां व खेतों को बढ़ाने की चाहत में जंगलों का सफाया होता जा रहा है जिस कारण जानवर भोजन-पानी की तलाश में शहरी बस्तियों तक पहुंच बनाने लगे हैं।
पिछले 16 सालों में कश्मीर में 241 लोगों की गई है जान- आधिकारिक आंकड़ें
उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2006 से वर्ष 2022 के अंत तक, कश्मीर में 241 व्यक्ति मारे गए हैं और 2,946 व्यक्ति मानव-पशु संघर्ष में घायल हुए हैं। जबकि जम्मू संभाग में इन 16 सालों में 6 लोगों की मौत हुई पर वर्ष 2020 से पहले तक यह आंकड़ा नगण्य ही था।
हालांकि बढ़ते मानव-जानवर संघर्ष के लिए अधिकारी अन्य कारकों के साथ ही एलओसी व इंटरनेशनल बार्डर पर लगाई गई तारबंदी को भी एक कारण मानते थे।
मामले में क्या बोले वाइल्ड लाइफ वार्डन
जम्मू संभाग के वाइल्ड लाइफ वार्डन अनिल अत्री के बकौल जम्मू संभाग में इस संघर्ष के शिकार होने वालों के सगे संबंधियों को 15 लाख की राशि का भुगतान इस अरसे में किया गया है जबकि 20 लाख से अधिक की राशि घायलों को इलाज के लिए दी गई है। कश्मीर में दी जाने वाली अनुग्रह राशि का आंकड़ा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।