नोटबंदी के दो सालः इन क्षेत्रों में बेहद सफल रही नोटबंदी, जानें पांच बिंदुओं में सफलता की पूरी कहानी

By आदित्य द्विवेदी | Published: November 8, 2018 01:06 PM2018-11-08T13:06:48+5:302018-11-08T13:06:48+5:30

नोटबंदी के पीछे तीन कारण बताए जा रहे थे- कालाधन, जाली नोट और आतंकवादियों की फंडिंग! ये उद्देश्य भले ही ना पूरे हुए हों लेकिन कई अन्य क्षेत्रों में नोटबंदी का सकारात्मक असर देखने को मिला है।

2 years of Demonetization: 5 points why noteban is a successful step for economy | नोटबंदी के दो सालः इन क्षेत्रों में बेहद सफल रही नोटबंदी, जानें पांच बिंदुओं में सफलता की पूरी कहानी

नोटबंदी के दो सालः इन क्षेत्रों में बेहद सफल रही नोटबंदी, जानें पांच बिंदुओं में सफलता की पूरी कहानी

8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा था, 'आज आधी रात से चलन में रहे 500 और 1000 रुपये के नोट अवैध हो जाएंगे।' इससे कुछ दिन देश में अफरातफरी का माहौल रहा और बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगी रहीं। बाद में 500 और 2000 के नये नोट जारी किए गए। सरकार ने ऐलान किया कि उसने देश में मौजूद काले धन और नकली मुद्रा की समस्या को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाया है। नोटबंदी के दो साल बाद ये समस्याएं भले ही कम ना हुई लेकिन कई अन्य क्षेत्रों में नोटबंदी का सकारात्मक असर देखने को मिला है।

1. डिजिटल पेमेंट में उछाल

डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के लिए नोटबंदी संजीवनी साबित हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के एक साल के अंदर डिजिटल भुगतान में 23 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई। सबसे ज्यादा फायदा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का हुआ है। सितंबर 2018 तक BHIM ऐप का ऐंड्रॉयड वर्जन 3 करोड़ 55 लाख जबकि आईओएस वर्जन 17 लाख डाउनलोड हो चुका था। आंकड़े बताते हैं कि 18 अक्टूबर 2018 तक भीएम ऐप से 8,206.37 करोड़ रुपये मूल्य के कुल 18 लाख 27 हजार ट्रांजैक्शन हुए।

2. शेल कंपनियों के बुरे दिन

नोटबंदी के बाद सरकार ने करीब 2 लाख शेल कंपनियों पर ताला लगा दिया। नोटबंदी के एक साल बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि उसे उन 2 लाख 9 हजार 32 संदिग्ध कंपनियों में से 5,800 कंपनियों के बैंक ट्रांजैक्शन की जानकारी मिल गई है जिनका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया गया है। साथ ही इन कंपनियों के डायरेक्टरों पर भी फंदा कसते हुए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। 

3. टैक्स कलेक्शन में अप्रत्याशित वृद्धि

नोटबंदी और जीएसटी ने टैक्स चोरी पर करारा प्रहार किया है। वित्त वर्ष 2017-18 में 31 अगस्त तक प्राप्त कुल रिटर्न की संख्या में 71 प्रति बढ़ोत्तरी हुई। पिछले साल एडवांस टैक्स कलेक्शन में 42 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। सरकार का दावा है कि 56 लाख नए टैक्स पेयर्स जुड़े हैं।

4. देसी पेमेंट सिस्टम की धमक

2012 में नेशनल पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने RUPAY पेमेंट सिस्टम तैयार कर लिया था। इसके बावजूद भारतीय उपभोक्ताओं पर दो अमेरिकी कंपनियों के पेमेंट सिस्टम का दबदबा था। लेकिन नोटबंदी के बाद RUPAY के इस्तेमाल में अपार सफलता दर्ज की गई। मास्टरकार्ड ने अमेरिकी सरकार से कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के अपने पेमेंट नेटवर्क रुपे को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा ले रहे हैं।

5. कैश की भूमिका पर प्रहार

नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक ब्लॉग में लिखा, 'भारत की अर्थव्यवस्था में नकदी का रोल बड़ा है। लेकिन नकद लेन-देन से पहचान संभव नहीं होती। ये बैंकिंग सिस्टम को बाई-पास करता है।' जेटली का दावा है कि नोटबंदी ने नकदी रखने वालों को पैसा बैंक में जमा करने के लिए बाध्य किया। बैंकों में पैसा जमा होने से उनकी क्षमता बढ़ी है। इससे मुचुअल फंड में निवेश भी बढ़ा है।

नोटबंदी की दूसरी बरसी पर कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को देशभर में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि अर्थव्यस्था की कमर तोड़ने वाले फैसले के लिए पीएम मोदी माफी मांगे। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'प्रधानमंत्री 2 साल पहले 8 नवंबर को खड़े हुए और राष्ट्र को संबोधित करते हुए 16.99 लाख करोड़ रुपये की नोट को सर्कुलेशन से बाहर कर दिया।'

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'नोटबंदी के तीन कारण बताए जा रहे थे- कालाधन, जाली नोट और आतंकवादियों की फंडिंग। लेकिन दो साल बाद एक भी उद्देश्य पूरा हुआ नहीं लगता। कांग्रेस कार्यकर्ता देशभर में सड़क पर उतरकर 2016 के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।'

Web Title: 2 years of Demonetization: 5 points why noteban is a successful step for economy

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